ऐहतियातन सुरक्षा बलों की टुकड़ियां तैनात हालांकि अभी तक विरोध शांति से किया जा रहा है
चंडीगढ़/रोहतक:
हरियाणा में एक बार फिर से आरक्षण की आग सुलगने लगी है। आंदोलनकारियों की मांग है कि सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिले। फरवरी में हुए जाट आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुए लोगों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग की जा रही है। साथ में उस दौरान मारे गए लोगों को मुआवजा और उनके परिवार वालों को सरकारी नौकरी देने की भी मांग है। आंदोलन रोहतक के जसिया गांव में हवन से शुरू हुआ। ऐसा ही प्रदर्शन हरियाणा के 15 जिलों में शुरू हो गया।
हर जिले में एक स्थान पर प्रदर्शन की इजाजत
हर जिले में एक ही जगह पर प्रदर्शन की अनुमति दी गई है। इस बार पिछली बार की तरह उत्साह और भीड़ कम देखी जा रही है। जाट नेता अशोक बलहारा का कहना है कि खाप का समर्थन नहीं है, उसका असर है और गर्मी भी है, एक कारण लोग नहीं आए।
पिछले आंदोलन में हुई हिंसा से सबक
हरियाणा में फरवरी में जाट आंदोलन के कारण हुई हिंसा से सबक लेते हुए केंद्रीय पुलिस बल की 55 कंपनियां तैनात की गई हैं। उस दौरान न सिर्फ 30 जानें गई थीं बल्कि करीब 20 हजार करोड़ की संपत्ति का नुकसान भी हुआ था। बाद में जब खट्टर सरकार ने आंदोलनकारियों की मांग मान ली तो आंदोलन खत्म हो गया था। लेकिन हाइकोर्ट के स्टे के बाद से जाटों ने आरक्षण की मांग को लेकर एक बार फिर से अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया है।
सहमे हुए हैं व्यापारी
पिछली बार आंदोलन में दुकानें जल जाने से व्यापारी सहमे हुए हैं। हालांकि पिछली बार की गलतियों से सबक लेते हुए सरकार पहले से सजग है। कई जगह इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। 8 जिलों में धारा-144 लगा दी गई है। हर जगह नाके पर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबल के जवान किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए तैयार दिखाई दे रहे हैं। एसएसपी, रोहतक शशांक आनंद का कहना है कि पिछली गलतियों से सबक लेकर सुरक्षा पुख्ता की गई है।
हालांकि अब तक पूरे हरियाणा में जाट आंदोलन शांतिपूर्ण दिखाई दे रहा है लेकिन अगर प्रशासन की तरफ से थोड़ी सी भी ढील बरती गई तो कुछ भी हो सकता है।
'पिछली बार आंदोलन हो गया था बदनाम इसलिए संयम....'
जाट नेता यशपाल मलिक ने कहा है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वो अपने आंदोलन को दूसरे राज्यों में भी ले जाएंगे और उत्तर प्रदेश में 8 जून को, मध्य प्रदेश में 10 जून को और उत्तराखंड में 11 जून को प्रदर्शन करेंगे।
जाट आंदोलनकारियों का मानना है कि पिछली बार के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से जाट समुदाय काफ़ी बदनाम हुआ था ऐसे में इस बार संयम रखते हुए उनका यह आंदोलन जारी रहेगा।
राज्य के आठ ज़िलों में धारा 144 लागू कर दी गई है। रोहतक और सोनीपत में मोबाइल इंटरनेट और बल्क SMS पर पाबंदी लगा दी गई है। जिन जिलों में धारा 144 लगाई गई है वे हैं- झज्जर, सोनीपत, रोहतक, पानीपत, हिसार, जींद, फ़तेहाबाद और कैथल। राज्य से गुज़रने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल लाइन के दोनों तरफ़ एक किलोमीटर तक धारा 144 लगाई गई है। इसमें पांच या उससे अधिक लोगों के किसी जगह जमा होने पर रोक है।
15 ज़िलों के गांवों में 15 दिनों तक धरना चलेगा लेकिन...
हालांकि राहत की बात यह है कि सरकार से बातचीत के बाद यशपाल मलिक की अगुवाई वाली जाट आरक्षण संघर्ष समिति शहर की बजाय गांवों में ही धरना देने को तैयार कर रहा है। उनकी ओर से रेल और सड़क मार्ग पर धरना नहीं देने का आश्वासन दिया गया है। 15 ज़िलों के गांवों में 15 दिनों तक धरना चलेगा। इस दौरान सरकार अगर जाट आंदोलनकारियों पर दर्ज मामलों पर रुख़ साफ़ नहीं करती है तो आगे बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है। इस बीच सूबे के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
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पुलिस ने की शांति बरतने की अपील...
आंदोलन की घोषणा के मद्देनजर हरियाणा पुलिस ने गुरुवार को सभी पुलिसकर्मियों का अवकाश रद्द किए जाने की घोषणा की थी। हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) मुहम्मद अकिल ने कहा कि पुलिस किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि पुलिस और जिला प्रशासन कानून व्यवस्था बनाए रखेगी और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। व्यक्ति या समूह जो शांतिपूर्ण माहौल को सीधे या परोक्ष रूप से दूषित करने की कोशिश करेंगे वे कड़ी कार्रवाई को आमंत्रित करेंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस किसी भी तरह से सड़क या रेल मार्ग जाम करना बर्दाश्त नहीं करेगी। पुलिस जिम्मेदार नागरिकों के साथ ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में शांति बनाए रखने के लिए बैठकें कर रही है। फरवरी में हुआ जाट आंदोलन हिंसक दौर...
हरिणाया ने अपने पांच दशकों के इतिहास में इस साल फरवरी में जाट आंदोलन के दौरान हिंसा का सबसे खराब दौर देखा था। आंदोलन के दौरान 30 लोगों की जान गई थी, 320 लोग घायल हुए थे और सैकड़ों करोड़ की संपत्ति बर्बाद हुई थी। करीब 10 दिनों तक राज्य पंगु बना रहा था।
(एजेंसियों से भी इनपुट)
हर जिले में एक स्थान पर प्रदर्शन की इजाजत
हर जिले में एक ही जगह पर प्रदर्शन की अनुमति दी गई है। इस बार पिछली बार की तरह उत्साह और भीड़ कम देखी जा रही है। जाट नेता अशोक बलहारा का कहना है कि खाप का समर्थन नहीं है, उसका असर है और गर्मी भी है, एक कारण लोग नहीं आए।
पिछले आंदोलन में हुई हिंसा से सबक
हरियाणा में फरवरी में जाट आंदोलन के कारण हुई हिंसा से सबक लेते हुए केंद्रीय पुलिस बल की 55 कंपनियां तैनात की गई हैं। उस दौरान न सिर्फ 30 जानें गई थीं बल्कि करीब 20 हजार करोड़ की संपत्ति का नुकसान भी हुआ था। बाद में जब खट्टर सरकार ने आंदोलनकारियों की मांग मान ली तो आंदोलन खत्म हो गया था। लेकिन हाइकोर्ट के स्टे के बाद से जाटों ने आरक्षण की मांग को लेकर एक बार फिर से अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया है।
सहमे हुए हैं व्यापारी
पिछली बार आंदोलन में दुकानें जल जाने से व्यापारी सहमे हुए हैं। हालांकि पिछली बार की गलतियों से सबक लेते हुए सरकार पहले से सजग है। कई जगह इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। 8 जिलों में धारा-144 लगा दी गई है। हर जगह नाके पर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबल के जवान किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए तैयार दिखाई दे रहे हैं। एसएसपी, रोहतक शशांक आनंद का कहना है कि पिछली गलतियों से सबक लेकर सुरक्षा पुख्ता की गई है।
हालांकि अब तक पूरे हरियाणा में जाट आंदोलन शांतिपूर्ण दिखाई दे रहा है लेकिन अगर प्रशासन की तरफ से थोड़ी सी भी ढील बरती गई तो कुछ भी हो सकता है।
'पिछली बार आंदोलन हो गया था बदनाम इसलिए संयम....'
जाट नेता यशपाल मलिक ने कहा है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वो अपने आंदोलन को दूसरे राज्यों में भी ले जाएंगे और उत्तर प्रदेश में 8 जून को, मध्य प्रदेश में 10 जून को और उत्तराखंड में 11 जून को प्रदर्शन करेंगे।
जाट आंदोलनकारियों का मानना है कि पिछली बार के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से जाट समुदाय काफ़ी बदनाम हुआ था ऐसे में इस बार संयम रखते हुए उनका यह आंदोलन जारी रहेगा।
राज्य के आठ ज़िलों में धारा 144 लागू कर दी गई है। रोहतक और सोनीपत में मोबाइल इंटरनेट और बल्क SMS पर पाबंदी लगा दी गई है। जिन जिलों में धारा 144 लगाई गई है वे हैं- झज्जर, सोनीपत, रोहतक, पानीपत, हिसार, जींद, फ़तेहाबाद और कैथल। राज्य से गुज़रने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल लाइन के दोनों तरफ़ एक किलोमीटर तक धारा 144 लगाई गई है। इसमें पांच या उससे अधिक लोगों के किसी जगह जमा होने पर रोक है।
15 ज़िलों के गांवों में 15 दिनों तक धरना चलेगा लेकिन...
हालांकि राहत की बात यह है कि सरकार से बातचीत के बाद यशपाल मलिक की अगुवाई वाली जाट आरक्षण संघर्ष समिति शहर की बजाय गांवों में ही धरना देने को तैयार कर रहा है। उनकी ओर से रेल और सड़क मार्ग पर धरना नहीं देने का आश्वासन दिया गया है। 15 ज़िलों के गांवों में 15 दिनों तक धरना चलेगा। इस दौरान सरकार अगर जाट आंदोलनकारियों पर दर्ज मामलों पर रुख़ साफ़ नहीं करती है तो आगे बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है। इस बीच सूबे के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
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पुलिस ने की शांति बरतने की अपील...
आंदोलन की घोषणा के मद्देनजर हरियाणा पुलिस ने गुरुवार को सभी पुलिसकर्मियों का अवकाश रद्द किए जाने की घोषणा की थी। हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) मुहम्मद अकिल ने कहा कि पुलिस किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि पुलिस और जिला प्रशासन कानून व्यवस्था बनाए रखेगी और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। व्यक्ति या समूह जो शांतिपूर्ण माहौल को सीधे या परोक्ष रूप से दूषित करने की कोशिश करेंगे वे कड़ी कार्रवाई को आमंत्रित करेंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस किसी भी तरह से सड़क या रेल मार्ग जाम करना बर्दाश्त नहीं करेगी। पुलिस जिम्मेदार नागरिकों के साथ ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में शांति बनाए रखने के लिए बैठकें कर रही है।
हरिणाया ने अपने पांच दशकों के इतिहास में इस साल फरवरी में जाट आंदोलन के दौरान हिंसा का सबसे खराब दौर देखा था। आंदोलन के दौरान 30 लोगों की जान गई थी, 320 लोग घायल हुए थे और सैकड़ों करोड़ की संपत्ति बर्बाद हुई थी। करीब 10 दिनों तक राज्य पंगु बना रहा था।
(एजेंसियों से भी इनपुट)
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