सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
जम्मू हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के संबंध में वकीलों के विरोध का उसने समर्थन नहीं किया था. बार काउन्सिल आफ इंडिया ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ से कहा कि उसने उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक दल गठित किया है जो कठुआ जाकर वकीलों के विरोध से संबंधित स्थिति का आकलन करेगा.
इस बीच कठुआ जिला बार एसोसिएशन ने पीठ से कहा कि उसने पहले ही 12 अप्रैल को अपनी हड़ताल वापस ले ली है. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता शोएब आलम ने पीड़ित के पिता की याचिका को वकीलों के विरोध का स्वत: संज्ञान लेने से संबंधित मामले के साथ सलंग्न करने का विरोध किया. पीडि़ता के पिता ने इस मामले को कठुआ से चंडीगढ़ स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुये याचिका दायर की है.
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पीठ ने कहा कि न्याय प्रशासन के साथ किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही पीठ ने जम्मू उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन , बार काउन्सिल आफ इंडिया और अन्य को 24 अप्रैल तक अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस मामले में न्यायालय अब अगले सप्ताह सुनवाई करेगा.
शीर्ष अदालत ने कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की न्यायिक प्रक्रिया में वकीलों द्वारा बाधा डालने की घटना का 13 अप्रैल को गंभीर संज्ञान लिया था और स्वत: ही इसमें कार्यवाही शुरू की थी। न्यायालय ने कहा था कि कानूनी प्रक्रिया में इस तरह की बाधा न्याय प्रदान करने की प्रणाली को प्रभावित करती है.
शीर्ष अदालत ने कहा था कि वकीलों के संगठनों का यह परम कर्तव्य है कि अदालतों में आरोपियों या पीडि़त परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को बाधित नहीं किया जाये. कठुआ के रासना गांव के निकट स्थित जंगल से यह बच्ची दस जनवरी को लापता हो गयी थी. एक सप्ताह बाद उसी क्षेत्र में उसका शव मिला था.
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राज्य पुलिस की अपराध शाखा ने इस मामले की जांच करके सात आरोपियों के खिलाफ मुख्य आरोप पत्र दायर किया है जबकि एक नाबालिग के खिलाफ अलग से कठुआ की एक अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया है. आरोप पत्र में इस बच्ची की हत्या करने से पहले उसका कथित तौर पर अपहरण किए जाने , उसे नशीला पदार्थ देने , एक पूजा स्थल के अंदर उसका बलात्कार किए जाने के बारे में रूह कंपाने वाले विवरण का खुलासा किया गया है.
इस बर्बरतापूर्ण घटना के बाद से ही जम्मू में तनाव व्याप्त है. बार एसोसिएशन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध करते हुये आरोप लगा रही हैं कि अल्पसंख्यक डोगरों को निशाना बनाया जा रहा है.
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शीर्ष अदालत ने कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की न्यायिक प्रक्रिया में वकीलों द्वारा बाधा डालने की घटना का 13 अप्रैल को गंभीर संज्ञान लिया था और स्वत: ही इसमें कार्यवाही शुरू की थी। न्यायालय ने कहा था कि कानूनी प्रक्रिया में इस तरह की बाधा न्याय प्रदान करने की प्रणाली को प्रभावित करती है.
शीर्ष अदालत ने कहा था कि वकीलों के संगठनों का यह परम कर्तव्य है कि अदालतों में आरोपियों या पीडि़त परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को बाधित नहीं किया जाये. कठुआ के रासना गांव के निकट स्थित जंगल से यह बच्ची दस जनवरी को लापता हो गयी थी. एक सप्ताह बाद उसी क्षेत्र में उसका शव मिला था.
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इस बर्बरतापूर्ण घटना के बाद से ही जम्मू में तनाव व्याप्त है. बार एसोसिएशन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध करते हुये आरोप लगा रही हैं कि अल्पसंख्यक डोगरों को निशाना बनाया जा रहा है.
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