जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक सोमवार को राज्यसभा में पास हो गया है. गृहमंत्री अमित शाह द्वारा पेश किया गया इस बिल का विपक्षी पार्टियों ने भी समर्थन किया और आखिरकार इसे उच्च सदन में भी मंजूरी मिल गई. अब इस पर जल्द ही राष्ट्रपति की मुहर के बाद यह कानून बना दिया जाएगा. इस बिल के साथ ही राज्य में राष्ट्रपति शासन की समय सीमा बढ़ाने के लिए लाए गए एक अन्य बिल को भी अन्य दलों का समर्थन मिला और यह भी पास कर दिया गया. इससे पहले अमित शाह द्वारा लाए गए इन दोनों ही बिलों को बीते शुक्रवार को लोकसभा में मंजूरी मिल चुकी है.
राज्यसभा में बिल पेश करते वक्त अमित शाह ने एक जबरदस्त भाषण भी दिया जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियों पर चिंता जताते हुए मौजूदा हालातों के लिए आजादी के बाद से आई कांग्रेस सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा 'मैं नरेन्द्र मोदी सरकार की तरफ से सदन के सभी सदस्यों तक ये बात रखना चाहता हूं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसे कोई देश से अलग नहीं कर सकता. मैं फिर दोहराना चाहता हूं कि नरेन्द्र मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है. उन्होंने कहा कि जम्हूरियत सिर्फ परिवार वालों के लिए ही सीमित नहीं रहनी चाहिए. जम्हूरियत गांव तक जानी चाहिए, चालीस हज़ार पंच, सरपंच तक जानी चाहिए और ये ले जाने का काम हमने किया. जम्मू कश्मीर में 70 साल से करीब 40 हजार लोग घर में बैठे थे जो पंच-सरपंच चुने जाने का रास्ता देख रहे थे. क्यों अब तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं कराये गये, और फिर जम्हूरियत की बात करते हैं. मोदी सरकार ने जम्हूरियत को गांव-गांव तक पहुंचाने का काम किया है.'
जो भारत को तोड़ने की बात करेगा उसको उसी भाषा में जवाब मिलेगा : अमित शाह
अमित शाह ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर की शांति, समृद्धि और विकास सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है. उन्होंने कहा, 'इससे जम्मू-कश्मीर की प्रगति सुनिश्चित करने के हमारे संकल्प को और बल मिलता है." उन्होंने ट्विटर पर समर्थन करने के लिए दलों का धन्यवाद करते हुए लिखा, "मैं इन महत्वपूर्ण विधेयकों का समर्थन करने के लिए सभी दलों को धन्यवाद देता हूं. यह एक बार फिर पीएम मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता में विश्वास को दोहराता है. मैं इस ऐतिहासिक दिन पर पीएम नरेंद्र मोदी को बधाई देता हूं और मुझे यकीन है कि उनके नेतृत्व में हम जल्द ही एक शांतिपूर्ण और प्रगतिशील जम्मू-कश्मीर देखेंगे."
बता दें जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक उद्देश्य राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास रहने वाले लोगों को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ देना है. वहीं राज्य में दिसंबर से राष्ट्रपति शासन लागू है. इससे पहले, जून 2018 से राज्यपाल शासन लागू था.
वीडियो: भारत को तोड़ने की बात करने वालों को मिलेगा जवाब - अमित शाह
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