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This Article is From Dec 16, 2019

जामिया की छात्रा ने रोते हुए सुनाई आपबीती, कहा- मैं मुस्लिम नहीं हूं फिर भी पहले दिन से लड़ रही हूं, क्योंकि...

छात्रा ने कहा, 'जब ये सब शुरू हुआ तो हम लाइब्रेरी में थे. हमें सुपरवाइजर की ओर से एक कॉल आया कि सब खराब होता जा रहा है. मैं जाने ही वाली थी कि तभी छात्रों का एक झुंड भागते हुए आया और 30 मिनट में लाइब्रेरी छात्रों से भर गई.'

जामिया की छात्रा ने रोते हुए सुनाई आपबीती, कहा- मैं मुस्लिम नहीं हूं फिर भी पहले दिन से लड़ रही हूं, क्योंकि...
जामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा ने रोते हुए आपबीती सुनाई.
नई दिल्ली:

जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia Islamia University) के छात्रों द्वारा नागरिक संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के विरोध का मामला तूल पकड़ चुका है. रविवार शाम दिल्ली के जामिया नगर से लगे सराय जुलैना के पास डीटीसी की तीन बसों को आग लगाने से बात शुरू हुई और फिर राजधानी दहल उठी. जामिया के छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने यूनिवर्सिटी में घुसकर उनसे मारपीट की.

झारखंड के रांची की रहने वाली एक छात्रा मीडिया के सामने आई और रोते हुए अपनी आपबीती सुनाई. छात्रा ने कहा, 'जब ये सब शुरू हुआ तो हम लाइब्रेरी में थे. हमें सुपरवाइजर की ओर से एक कॉल आया कि सब खराब होता जा रहा है. मैं जाने ही वाली थी कि तभी छात्रों का एक झुंड भागते हुए आया और 30 मिनट में लाइब्रेरी छात्रों से भर गई. मैंने देखा कि कुछ लड़कों के सिर से खून निकल रहा है. कुछ पुलिस वाले अंदर आए और जोर-जोर से गालियां देने लगे. उन्होंने सभी को बाहर जाने के लिए बोला. मैं अपने हॉस्टल की बिल्डिंग की ओर आगे बढ़ने लगी. मैंने देखा कि लड़के सड़क पर गिरे पड़े हैं. वो बेहोश थे.'

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छात्रा ने आगे कहा, 'जब हम लोग जा रहे थे तो हमारे हाथ ऊपर थे. आखिरकार मैं हॉस्टल पहुंच गई. थोड़ी देर बाद कुछ लड़के हमारे हॉस्टल में भागते हुए आए और कहा कि लड़कियों को पीटने के लिए महिला पुलिसकर्मी यहां आ रही हैं. मैं उनसे बचने के लिए दूसरी जगह चली गई. कुछ देर बाद मैं हॉस्टल में लौटी. मैंने देखा कि लड़कों के कपड़े खून से सने हैं.'

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छात्रा ने रोते हुए कहा, 'हमें लगता था कि छात्रों के लिए दिल्ली सबसे सुरक्षित है और ये एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है. मुझे लगता था कि हमारे लिए यूनिवर्सिटी सबसे महफूज है, हमें कभी कुछ नहीं होगा. हम पूरी रात रोते रहे. ये क्या हो रहा है. अब मुझे इस पूरे देश में सुरक्षित महसूस नहीं हो रहा है. मुझे नहीं पता कि हम लोग कहां जाएंगे और कब हम भीड़ का शिकार हो जाएंगे. मैं मुस्लिम नहीं हूं फिर भी मैं पहले दिन से आगे खड़ी हूं, तो मैं क्यों लड़ रही हूं. हमारी पढ़ाई का क्या फायदा है अगर हम सही के साथ खड़े नहीं हो सकते.'

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