AMU Medical College- उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएनएमसी मेडिकल कॉलेज में क्या हिंदुओं के साथ भेदभाव हो रहा है? भारतीय जनता पार्टी के सांसद सतीश गौतम ने मेडिकल कॉलेज पर ये गंभीर आरोप लगाए हैं. यूपी विधानसभा में सदन की कार्यवाही के दौरान सतीश गौतम ने ये बयान दिया है. सतीश गौतम ने कहा कि जेएनएमसी मेडिकल कॉलेज में हिंदुओं का इलाज करने से इनकार कर दिया जाता है. हालांकि, मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल और कर्मचारियों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है.
यह पहली बार नहीं है, जब सांसद सतीश गौतम ने कोई सनसनीखेज बयान दिया है. इससे पहले वह एएमयू में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर दिये गए बयान को लेकर भी सुर्खियों में आए थे. अब एक बार फिर वह अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. सांसद सतीश गौतम ने सदन में कहा कि जेएनएमसी मेडिकल कॉलेज में हिंदुओं के साथ भेदभाव होता है, इसलिए अलीगढ़ के दीनदयाल अस्पताल को आधुनिक करने की जरूरत है. जेएनएमसी मेडिकल कॉलेज में केंद्र सरकार ने ट्रॉमा सेंटर स्थापित कराया है, लेकिन यहां हिंदुओं का इलाज नहीं होता है. कई बार अपमान होने के कारण अब तो यहां कई हिंदू इलाज कराने से कतराते भी हैं.
जाति या धर्म पूछकर नहीं करते इलाज- कॉलेज प्रिंसिपल
बीजेपी सांसद के आरोपों के बारे में जब जेएनएमसी मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल वीणा माहेश्वरी से सवाल किये गए, तो उन्होंने कहा, "मैं पिछले 40 साल से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़ी हुई हूं. यहां पूरे जिले के मरीज इलाज कराने आते हैं. हम किसी मरीज की जाति या धर्म पूछकर इलाज नहीं करते हैं. मेडिकल कॉलेज में सभी धर्म और समुदाय के लोगों का एक समान इलाज होता है. किसी भी मरीज से भेदभाव नहीं किया जाता है. सांसद सतीश गौतम यहां मरीजों से भेदभाव होने के आरोप क्यों और किस आधार पर लगा रहे हैं, मुझे नहीं पता."
"हिंदू मरीजों के साथ भेदभाव होते कभी नहीं देखा..."
मेडिकल कॉलेज में काम करने वाले एक कर्मचारी आशीष शर्मा ने भी सतीश गौतम के आरोपों को निराधार बताया. उन्होंने कहा, "मैं यहां कई वर्षों से नौकरी कर रहा हूं. लेकिन अभी तक हिंदू और मुस्लिम में भेदभाव होते हुए नहीं देखा. सांसद सतीश गौतम ने मेडिकल कॉलेज पर आरोप क्यों लगाए हैं, मुझे नहीं मालूम. ऐसे निराधार आरोप लगाने के बजाय बीजेपी सांसद को यहां के कर्मचारियों पर खर्च होने वाले बजट और सुविधाओं को लेकर लोगों का ध्यान आकर्षित कराना चाहिए था. अगर वह ऐसा करते, तो बेहतर होता. लेकिन उनके द्वारा हिंदुओं के इलाज में भेदभाव को लेकर जो बयान दिया है, उसमें कोई सच्चाई नहीं है."
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