जमात ए इस्लामी हिंद के पदाधिकारी
नई दिल्ली:
जमात ए इस्लामी हिन्द ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा, आईएसआईएस के नाम पर मुस्लिम नौजवानों की गिरफ़्तारी, हैदराबाद में रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की आत्महत्या, इंटरनेट पर आईएसआईएस की गतिविधि की सर्फिंग पर दोषी करार दिए जाने पर केंद्र सरकार को घेरा है।
आईएसआईएस से सम्बंधित गिरफ़्तारियों को लेकर देश के मुस्लिम संगठनों का एक सम्मलेन 8 फ़रवरी को बुलाने का दावा आज जमात ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया।
अलीगढ़ मुस्लिम विवि का अल्पसंख्यक दर्जा
जमात ए इस्लामी हिन्द मानती है कि सुप्रीम कोर्ट में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जा के मामले में केंद्र सरकार का पक्ष ऐतिहासिक तथ्य को नकारने वाला है। यह सर्वविदित है कि एएमयू की स्थापना देश में मुस्लिम समुदाय के शैक्षिक स्तर में सुधार के लिए की गई थी। जमाअत ए इस्लामी हिन्द ने सरकार के रवैये पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार सोच-विचार कर अल्पसंख्यकों को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों से वंचित कर रही है।
जमात ने सरकार से अपील की कि देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक की उचित मांग और भावनाओं की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। एएमयू को मुसलमानों से छीनने के लिए अनावश्यक विवाद पैदा किया जा रहा है। जमात ने कहा कि मुसलमानों की तालीमी जरूरत को पूरा करने के लिए देश के सैकड़ों विश्वविद्यालयों में से कुछ का प्रबंधन मुसलमानों के हाथों में दे दिया जाए तो निस्संदेह देश का भला होगा। जमात के प्रतिनिधियों ने कहा कि भ्रामक दलीलों से एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जा को न तो छुपाया जा सकता है और न बदला जा सकता है।
जमात ने सरकार से अपील की है कि दूसरे अल्पसंख्यकों की तरह मुसलमानों के संवैधानिक अधिकार का सम्मान होना चाहिए और एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखा जाए।
रोहित वेमुला आत्महत्या भेदभाव का प्रतीक
हैदराबाद में रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला नें आत्महत्या के मामले में जमात ए इस्लामी हिन्द ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में छात्र के मामलों में केंद्रीय मंत्रियों के अनुचित हस्तक्षेप की कठोर शब्दों में निन्दा की है। जमात ए इस्लामी हिन्द ने इस निंदनीय और जघन्य घटना में शामिल प्रत्येक दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की है एवं कैंपस में दलितों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए दरकार सकारात्मक कार्रवाइयों की तमाम मांगों का समर्थन किया है। जमात ने दलित समाज के खिलाफ बढ़ते नफरत के माहौल और द्वेष में जातिगत ध्रुविकरण पर चिंता प्रकट की है।
आईएसआईएस के नाम पर मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारी
गणतंत्र दिवस से ठीक पहले देश के विभिन्न हिस्सों में दहशतगर्दी के आरोप में मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारी को जमात ए इस्लामी हिन्द संशय की दृष्टि से देखती है। जमाअत ए इस्लामी हिन्द के प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने साफ तौर पर अपना पक्ष स्पष्ट किया था कि भारत में आईएसआईएस का वजूद नहीं है और भारत के मुसलमान आईएसआईएस के बहकावे में कभी नहीं आएंगे। इसके विपरीत अब देश में मुस्लिम नौजवानों को आईएसआईएस से संबंध के आरोप में मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया जा रहा है।
जमात ने विश्वास जताया है कि इन नौजवानों को अनुचित तौर पर फंसाया जा रहा है और बाद में अदालत इन्हें उसी तरह बरी कर देगी जिस तरह इस से पहले मुस्लिम नौजवानों को आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और बाइज्जत बरी कर दिए गए थे। इस तरह की कार्रवाइयों से युवाओं का करियर और उत्कृष्ट जीवन तबाह हो जाता है।
जमात ए इस्लामी हिन्द ने केंद्र सरकार से मांग की कि उनके खिलाफ तमाम आरोपों को वापस लेकर उन्हें रिहा किया जाना चाहिए जिन्हें बिना पर्याप्त सबूतों के केवल संदेह की बुनियाद पर गिरफ्तार किया गया है।
वित्त बजट 2016-17 के लिए जमाअत का सुझाव
जमात ए इस्लामी हिन्द ने आगामी केंद्रीय वित्त बजट 2016-17 के लिए वित्त मंत्रालय को अपना सुझाव भेजा है।
सामाजिक क्षेत्रों में जरूरी राशि का आवंटन होना चाहिए। जमात का कहना है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में निजी सेक्टर की बढ़ती भूमिका से इनकी सेवाओं की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है जिस कारण इन सुविधाओं तक आम आदमी की पहुंच कठिन है। संगठन ने सरकार से मांग की है कि इन सुविधाओं को निजी-सार्वजनिक पार्टनरशिप पद्धति (पीपीपी मोड) से बाहर किया जाना चाहिए और उनके विकास के मद्देनजर सरकार की भूमिका को बढ़ाना चाहिए।
जमात ए इस्लामी हिन्द की इस प्रेसवार्ता में उपाध्यक्ष नुसरत अली और महासचिव इंजीनियर मोहम्मद सलीम व अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
आईएसआईएस से सम्बंधित गिरफ़्तारियों को लेकर देश के मुस्लिम संगठनों का एक सम्मलेन 8 फ़रवरी को बुलाने का दावा आज जमात ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया।
अलीगढ़ मुस्लिम विवि का अल्पसंख्यक दर्जा
जमात ए इस्लामी हिन्द मानती है कि सुप्रीम कोर्ट में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जा के मामले में केंद्र सरकार का पक्ष ऐतिहासिक तथ्य को नकारने वाला है। यह सर्वविदित है कि एएमयू की स्थापना देश में मुस्लिम समुदाय के शैक्षिक स्तर में सुधार के लिए की गई थी। जमाअत ए इस्लामी हिन्द ने सरकार के रवैये पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार सोच-विचार कर अल्पसंख्यकों को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों से वंचित कर रही है।
जमात ने सरकार से अपील की कि देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक की उचित मांग और भावनाओं की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। एएमयू को मुसलमानों से छीनने के लिए अनावश्यक विवाद पैदा किया जा रहा है। जमात ने कहा कि मुसलमानों की तालीमी जरूरत को पूरा करने के लिए देश के सैकड़ों विश्वविद्यालयों में से कुछ का प्रबंधन मुसलमानों के हाथों में दे दिया जाए तो निस्संदेह देश का भला होगा। जमात के प्रतिनिधियों ने कहा कि भ्रामक दलीलों से एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जा को न तो छुपाया जा सकता है और न बदला जा सकता है।
जमात ने सरकार से अपील की है कि दूसरे अल्पसंख्यकों की तरह मुसलमानों के संवैधानिक अधिकार का सम्मान होना चाहिए और एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखा जाए।
रोहित वेमुला आत्महत्या भेदभाव का प्रतीक
हैदराबाद में रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला नें आत्महत्या के मामले में जमात ए इस्लामी हिन्द ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में छात्र के मामलों में केंद्रीय मंत्रियों के अनुचित हस्तक्षेप की कठोर शब्दों में निन्दा की है। जमात ए इस्लामी हिन्द ने इस निंदनीय और जघन्य घटना में शामिल प्रत्येक दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की है एवं कैंपस में दलितों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए दरकार सकारात्मक कार्रवाइयों की तमाम मांगों का समर्थन किया है। जमात ने दलित समाज के खिलाफ बढ़ते नफरत के माहौल और द्वेष में जातिगत ध्रुविकरण पर चिंता प्रकट की है।
आईएसआईएस के नाम पर मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारी
गणतंत्र दिवस से ठीक पहले देश के विभिन्न हिस्सों में दहशतगर्दी के आरोप में मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारी को जमात ए इस्लामी हिन्द संशय की दृष्टि से देखती है। जमाअत ए इस्लामी हिन्द के प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने साफ तौर पर अपना पक्ष स्पष्ट किया था कि भारत में आईएसआईएस का वजूद नहीं है और भारत के मुसलमान आईएसआईएस के बहकावे में कभी नहीं आएंगे। इसके विपरीत अब देश में मुस्लिम नौजवानों को आईएसआईएस से संबंध के आरोप में मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया जा रहा है।
जमात ने विश्वास जताया है कि इन नौजवानों को अनुचित तौर पर फंसाया जा रहा है और बाद में अदालत इन्हें उसी तरह बरी कर देगी जिस तरह इस से पहले मुस्लिम नौजवानों को आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और बाइज्जत बरी कर दिए गए थे। इस तरह की कार्रवाइयों से युवाओं का करियर और उत्कृष्ट जीवन तबाह हो जाता है।
जमात ए इस्लामी हिन्द ने केंद्र सरकार से मांग की कि उनके खिलाफ तमाम आरोपों को वापस लेकर उन्हें रिहा किया जाना चाहिए जिन्हें बिना पर्याप्त सबूतों के केवल संदेह की बुनियाद पर गिरफ्तार किया गया है।
वित्त बजट 2016-17 के लिए जमाअत का सुझाव
जमात ए इस्लामी हिन्द ने आगामी केंद्रीय वित्त बजट 2016-17 के लिए वित्त मंत्रालय को अपना सुझाव भेजा है।
सामाजिक क्षेत्रों में जरूरी राशि का आवंटन होना चाहिए। जमात का कहना है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में निजी सेक्टर की बढ़ती भूमिका से इनकी सेवाओं की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है जिस कारण इन सुविधाओं तक आम आदमी की पहुंच कठिन है। संगठन ने सरकार से मांग की है कि इन सुविधाओं को निजी-सार्वजनिक पार्टनरशिप पद्धति (पीपीपी मोड) से बाहर किया जाना चाहिए और उनके विकास के मद्देनजर सरकार की भूमिका को बढ़ाना चाहिए।
जमात ए इस्लामी हिन्द की इस प्रेसवार्ता में उपाध्यक्ष नुसरत अली और महासचिव इंजीनियर मोहम्मद सलीम व अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
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