हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के पर्वतारोहियों के दल के साथ सेना और नागरिक प्रशासन की एक संयुक्त टीम को आज सुबह तीन बजे काजा से मनाली-खामेंगर दर्रा-मणिरंग के ऊंचे इलाकों की ओर बचाव अभियान (Rescue Opreation) के लिए रवाना किया गया है. पश्चिम बंगाल के पर्वतारोहियों और स्थानीय कुलियों की एक टीम कथित तौर पर लगभग 18,000 फीट ऊंचे पर्वत क्षेत्र में 3 दिन से फंसी हुई है. 3 ट्रेकर्स और 11 पोर्टर्स (1 शेरपा समेत) सहित टीम के 14 सदस्यों के उस इलाके में ही रुके होने की सूचना है.
बचाव की तलाश में आईटीबीपी शिविर, काजा पहुंचे अभियान के उपनेता ने बताया कि उनका अभियान 17 सितंबर को मनाली से शुरू हुआ था. 25 सितंबर को जब टीम खमेंजर दर्रे से गुजर रही थी, तब दो सदस्य- संदीप कुमार ठाकुरता (48) और भास्करदेव मुखोपाध्याय (61)- की माउंटेन सिकनेस के कारण मौत हो गई. इस अभियान दल में 6 पर्वतारोही, 1 शेरपा और 10 सिविल पोर्टर्स सहित 17 सदस्य शामिल थे. उपनेता ने आगे कहा कि दोनों के शव मौके पर पड़े हैं और अभियान के अन्य सदस्य मदद का इंतजार कर रहे हैं.
आईटीबीपी, स्थानीय प्रशासन और स्थानीय सेना की टुकड़ी ने तुरंत एक टीम बनाकर बचाव अभियान शुरू करने का फैसला किया. आज सुबह तीन बजे, 17वीं बटालियन ITBP के पर्वतारोहियों, सेना, सिविल पोर्टर्स और स्थानीय पुलिस प्रतिनिधियों की एक संयुक्त टीम बचाव कार्यों के लिए रवाना हो चुकी है.
बचाव अभियान पिन वैली के एक गांव से शुरू होगा. शवों को निकालने और फंसे हुए अभियान सदस्यों तथा कुलियों को निकालने में कुछ दिन लगने की संभावना है. बचाव दल सभी आवश्यक पर्वतारोहण उपकरणों, जीवन रक्षक दवाओं, ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य बचाव उपकरणों से पूरी तरह सुसज्जित हैं.
बचाव प्रयास का पहला चरण चकधार तक होगा, जबकि दूसरा चरण चक धार से धार थांगो तक होगा. तीसरा और अंतिम चरण धार थांगो से स्पॉट 5434 तक होगा, जहां के लिए यह माना जा रहा है कि वहां यह टीम फंसी हुई है. खबर लिखे जाने तक बचाव दल चक धार पर पहले चरण में पहुंच गया था और उसकी अग्रिम पार्टी धार थांगो में दूसरे चरण के पास वाली थी.
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