प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि प्रधानमंत्री बनने की इच्छा किसी की भी हो सकती है. लेकिन इस इच्छा को पूरा करने के लिए देश पर एक लकीर खींच दी गई. बंटवारा कर दिया गया. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्या पंडित नेहरू कम्युनल थे? क्या हिन्दू-मस्लिम में भेद करते थे? क्या वो हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते थे? उन्होंने यह बात नागरिकता संशोधन कानून पर बात करते हुए कही. उन्होंने कहाकि पाकिस्तान की हालात को देखते हुए गांधी जी के साथ ही नेहरू जी की भावनाएं भी जुड़ी थी. सभी लोग इस तरह के कानून की बात कहते रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा, "इतने दशकों के बाद भी पाकिस्तान की सोच नहीं बदली है, वहां आज भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण ननकाना साहिब में देखने को मिला. ये केवल हिन्दू और सिखों के साथ नहीं बल्कि वहां अन्य जो अल्पसंख्यक हैं, उनके साथ भी यही हो रहा है."
साथ ही उन्होंने कहा कि 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ, जो भारत-पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए हुआ. इस समझौते में धार्मिक अल्पसंख्यकों का जिक्र हुआ था. पीएम ने कहा, "5 नवंबर 1950 को इसी संसद में नेहरू जी ने कहा था कि इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि जो प्रभावित लोग भारत में बसने के लिए आये हैं, ये नागरिकता मिलने के अधिकारी हैं और अगर इसके लिए कानून अनुकूल नहीं हैं तो कानून में बदलाव किया जाना चाहिए."
इसके अलावा उन्होंने कहा, "कांग्रेस की दिक्कत ये हैं कि वो बाते करती है, झूठे वादे करती है और दशकों तक उन वादों को टालती रहती है. आज हमारी सरकार अपने राष्ट्र निर्माताओं की भावनाओं पर चलते हुए फैसले ले रही है, तो इनकों दिक्कत हो रही है."
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