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This Article is From Dec 26, 2017

कहीं ये 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी तो नहीं?

गुजरात में विजय रूपाणी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली और इस जीत के साथ ही बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी जीत लिया.

कहीं ये 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी तो नहीं?
गुजरात में शपथ ग्रहण के दौरान पीएम मोदी और अन्य लोग
नई दिल्ली:

गुजरात में विजय रूपाणी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली और इस जीत के साथ ही बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी जीत लिया. बीजेपी की गुजरात जीत ने पीएम मोदी की साख में बट्टा लगने से बचा लिया. मंगलवार को जब गुजरात में दूसरी बार विजय रूपाणी की ताजपोशी हुई तो मंच का नजारा भविष्य में होने वाले चुनावों का आईना दिखा रहा था. यानी कि बीजेपी ने एक तीर से दो निशाना लगाते हुए शपथ ग्रहण में ही लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपना शक्ति प्रदर्शन किया. मंच पर बीजेपी शासित 18 राज्यों के मुख्यमंत्रियों का जमावड़ा इस बात की तस्दीक करती है कि इस बहाने बीजेपी ने ये दिखाने की कोशिश की है कि अभी तो 19 राज्यों में सत्ता है, मगर अब वो दिन दूर नहीं जब 'कांग्रेस मुक्त भारत' कर देश के सभी राज्यों में कमल खिलता दिखेगा. शपथ ग्रहण के दौरान मंच पर 18 राज्यों के मुख्यमंत्री और गुजरात के कई पुराने चेहरे दिखे. इसके बाद से सियासी गलियारों में ये कायास लगाए जा रहे हैं कि गुजरात में सिर्फ ये रूपाणी सरकार का शपथ नहीं था, बल्कि यह सब 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर शक्ति प्रदर्शन था. हालांकि 2018 में भी देश के 8 राज्‍यों में चुनाव होने हैं.

रूपाणी की ताजपोशी में बीजेपी का शक्ति प्रदर्शन:
गुजरात चुनाव से पहले भी जब चुनावी प्रचार का दौर चल रहा था, तब भी इस चुनाव को बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए सेमीफाइनल के रूप में ही देखा जा रहा था. गुजरात जीत से बीजेपी जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी और मजबूत करने की सोच रही थी, वहीं कांग्रेस इसे खुद के लिए संजीवनी के रूप में देख रही थी. मगर बाजी बीजेपी के हाथ लगी और गुजरात जीत ने एक बार फिर से बीजेपी की 2019 में दावेदारी को और पुख्ता कर दिया. यही वजह है कि जब नतीजों का ऐलान हुआ तो बीजेपी इस जीत को भुनाने में जुट गई और इसे लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर अमह जीत बताने लगी. मंगलवार को गुजरात में जिस तरह से बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का मजावड़ा दिखा, ऐसा शायद ही पहले हुआ हो कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में अन्य राज्यों के इतने मुख्यमंत्री एक साथ जुटे हों. 

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मंच पर 18 राज्यों के मुख्यमंत्रियों का जमावड़ा:
मंच पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ने वाले शंकर सिंह वाघेला, गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल, केशुभाई पटेल सहित, छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस, गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर, राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे, बिहार के सीएम नीतीश कुमार आदि भी शामिल दिखे. हालांकि, शिवराज सिंह बधाई देकर जल्द ही वापस लौट गये. इस तरह से देखा जाए तो मुख्यमंत्रियों की ये मौजूदगी न सिर्फ गुजरात की जनता को चमक-धमक दिखाने की कोशिश थी, बल्कि देश को भी ये दिखाने की कोशिश थी कि अभी भी भारतीय जनता पार्टी का जलवा कायम है और मुख्यमंत्रियों की ये फौज ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी को एक बार फिर से प्रचंड बहुमत दिलाने में सहायक साबित होगी. 

19 राज्यों में बीजेपी का भगवा झंडा:
फिलहाल, देश के 19 राज्यों में बीजेपी की सत्ता है. इसके साथ ही बीजेपी ने इंदिरा गांधी के उस रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है, जिसमें एक समय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय कांग्रेस ने 18 राज्यों में अपनी सत्ता कामय कर ली थी. यानी बीजेपी कांग्रेस से इस मामले में एक कदम आगे निकल चुकी है और ऐसे ही बीजेपी का विजय अभियान जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं, जब बीजेपी देश को कांग्रेस मुक्त भारत बनाने में कामयाब हो जाएगी. बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पहले ही कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दे चुके हैं. 

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कमजोर पक्ष को भुनाने की बीजेपी की शानदार कोशिश: 
माना ये भी जा रहा है कि पिछली बार की तुलना में गुजरात में बीजेपी उस तरह से प्रदर्शन नहीं कर पाई, जिसकी उम्मीद उसे थी. यानी कि नतीजे आने से पहले बीजेपी 150 के मिशन की बात कर रही थी, मगर नतीजों ने बीजेपी को महज 99 सीटों पर समेट दिया. इससे साफ संदेश ये गया कि बीजेपी का जनाधार अब कमते जा रहा है और पीएम मोदी की लहर भी अब कम होने लगी है. इसकी झलक गुजरात के ग्रामीण इलाकों में बीजेपी के वोट फीसदी से साफ दिखा. गुजरात चुनाव में बीजेपी को शहरी इलाकों में ज्यादा वोट मिले, मगर ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस बाजी मार ले गई. इसकी वजह ये बताई गई कि गुजरात के ग्रामीण इलाके के लोग, किसान और मंझोले व्यापारी पीएम मोदी और बीजेपी सरकार की नीतियों से खुश नहीं है. इसके अलावा, बीजेपी के कुल वोट फीसदी में भी गिरावट देखने को मिली, वहीं कांग्रेस के वोट शेयर में इजाफा दिखने को मिला. इन सबने बीजेपी को एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया और यही वजह है कि बीजेपी को 'कामचलाऊ जीत' को जबरदस्त तरीके से भुनाने के लिए गुजरात में एक मंच पर अपने सभी गणमान्य नेताओं और मुख्यमंत्रियों की फौज को उतारना पड़ा. 

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गुजरात के बहाने 2019 की तैयारी:

बीजेपी ने इस शक्ति प्रदर्शन से गुजरात की जनता के आंखों पर से उस चश्मे को हटाने की कोशिश की है, जिसमें वहां की जनता को बीजेपी की ये जीत मामूली नजर आ रही थी. इस शक्ति प्रदर्शन ने लोगों को भावनात्मक रूप से ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि भले ही बीजेपी का प्रदर्शन गुजरात में शानदार नहीं रहा हो, मगर चुनावी मैदान में वो अभी कमजोर नहीं है. लोकसभा के साथ-साथ बीजेपी ने अगले साल यानी कि 2018 में होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनावों को भी साधने की कोशिश की है. 2018 में शुरुआत में नागालैंड, कर्नाटक, त्रिपुरा और मेघालय में चुनाव होने हैं और वहीं साल के अंत में चार राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिजोरम और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन राज्यों में बीजेपी भी अपनी ताकत बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रही है और मोदी सरकार भी उत्तर पूर्व के राज्यों में खास ध्यान दे रही है. तो इस तरह से देखा जाए तो बीजेपी अभी जो भी कदम उठा रही है वो सिर्फ और सिर्फ लोकसभा चुनाव को देखते हुए ही.

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