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This Article is From Dec 15, 2020

मुंबई में कोरोना वैक्सीन ट्रायल से पीछे हटे कुछ वॉलंटियर्स, दूसरी खुराक लेने से किया इनकार

केईएम अस्पताल चाहता है कि बीएमसी सभी वॉलंटियर्स को समझाए कि उन्हें किसी भी तरह से डरने की आवश्यकता नहीं है. इस वैक्सीन के ट्रायल से उन्हें कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा.

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मुंबई में कोरोना वैक्सीन ट्रायल से पीछे हटे कुछ वॉलंटियर्स, दूसरी खुराक लेने से किया इनकार
प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:

मुंबई के केईएम अस्पताल में कोरोना वायरस (Coronavirus) की कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) की क्लिनिकल टेस्टिंग में 101 वॉलंटियर्स में से 6 ने ट्रायल अधूरा छोड़ दिया है. वॉलंटियर्स को ट्रायल को लेकर डर सताने लगा है कि कहीं उन्हें किसी तरह के साइड इफेक्ट न हो जाएं. इसलिए 6 वॉलंटियर्स ने दूसरी खुराक लेने से मना कर दिया है. अब केईएम अस्पताल ने कोविशील्ड वैक्सीन की क्लिनिकल ट्रायल को लेकर बीएमसी से मदद मांगी है. केईएम अस्पताल चाहता है कि बीएमसी सभी वॉलंटियर्स को समझाए कि उन्हें किसी भी तरह से डरने की आवश्यकता नहीं है. इस वैक्सीन के ट्रायल से उन्हें कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा.

इसी बीच आयुष डॉक्टर एसोसिएशन से जुड़े 58 साल के डॉ अख़्तर शेख़ का कहना है कि जब तक वैक्सीन की पूरी सफलता की रिपोर्ट नहीं आती, तब तक टीका लेना सही नहीं है. वॉलंटियर्स को वैक्सीन ट्रायल से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि, यह सही बात है कि वॉलंटियर्स को ही सबसे पहले वैक्सीन दी जानी चाहिए क्योंकि वह अपनी जान खतरे में डालकर लोगों की जान बचाते हैं. लेकिन इसमें किसी तरह की जल्दबाजी ठीक नहीं है.

डॉ. शेख़ ने कहा, ‘'हेल्थवर्कर भी तो इंसान हैं. उनको लोगों को बचाना है. अगर वही बीमार पड़ जाएं या उन्हें साइड इफ़ेक्ट हो जाए तो क्या करेंगे? किसी की लाइफ़ से कैसे खेल सकते हैं, जब तक 100% की गारंटी नहीं मिल जाती है? अगर फ़ेस परैलिसस हो गया तो क्या करेंगे? इंसान की बॉडी कॉम्प्लेक्स है, एक को तकलीफ़ होती है दूसरे को नहीं होती.''

मुंबई शहर में ये आवाज़ें और पुख़्ता हो रही हैं. सोशल मीडिया कैंपेन के साथ साथ, ऐसे पैनल डिस्कशन भी हुए जिसमें छात्र, वकील और ऐक्टिविस्ट ने मुहिम के तहत वैक्सीन को ज़रूरी ना करने की अपील की.

अवेकेन इंडिया के ऐक्टिविस्ट फ़िरोज़ मिठीबोरवाला ने बताया कि “हमें लगता है कि इससे काफ़ी नुक़सान होगा. अभी तक के ट्रायल के जो नतीजे आए हैं उससे वैक्सीन के लिए भरोसा नहीं बन पाया है. लोग कोरोना से ज़्यादा वैक्सीन से डर रहे हैं. मैं लोगों से यही कहना चाहूंगा, दबाव में ना आकर ख़ुद फ़ैसला करें. जब तक आप पूरी तरह संतुष्ट ना हों वैक्सीन ना लें, मैं नहीं ले रहा हूं.''

मुंबईकर कृष्णा शाह का कहना है, “दुनियाभर में कोविड वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के दौरान जो खबरें आयीं हैं वो परेशान करने वाली हैं. इन खबरों पर पर्दा डालते हुए ट्रायल हो रहे हैं. मुझे ये सही नहीं लगता है. मुझे इस वैक्सीन को लेने की ज़रूरत बिल्कुल महसूस नहीं हो रही है. मुझे लगता है कोविड से लड़ने के लिए मेरी इम्यूनिटी अच्छी है और मुझे इससे मदद मिलेगी, मैं रिस्क नहीं ले सकती.” 

वहीं 11,000 मेडिकल कन्सल्टेंट वाली Association of Medical Consultants, Mumbai, वैक्सीन को लेकर लोगों में भरोसा क़ायम रखने की अपील कर रही है. एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ दीपक बैद का कहना है, “जो इंफ़ेक्शन मुझे होगा नाक मुंह में वो मेरी खांसी सर्दी से दूसरों को भी लग सकता है. चाहे मैंने वैक्सीन लिया हो तब भी. वैक्सीन लिए शख़्स से भी ये फैल सकता है, तो ज़रूरी है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग वैक्सीन लें. कुछ के लेने से सबकुछ ठीक नहीं होगा. दूसरों को बीमारी लगने का डर रहेगा. मैं बच जाऊं लेकिन मुझसे दूसरों को लग सकता है. जितने लोग लें उतना महामारी फैलने का ख़तरा कम होता है. हाल में इसी बुनियाद पर ये पास हुआ है. मुझे लगता है वैक्सीन सेफ है, मैं लूंगा.''

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