पश्चिम बंगाल में पशुओं की अंतरराष्ट्रीय तस्करी मामले में आरोपी इनामुल हक को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. कोर्ट ने हक को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया है. कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले में आरोपी की कैद अनिवार्य नहीं है. कोच्चि में दर्ज मामले में उसे कानूनन जमानत मिल ही गई थी. वो 2018 से जेल में ही था जबकि चार्जशीट 2021 में दाखिल हुई. लिहाजा अब चार्जशीट दाखिल होने के बाद उसे जमानत पर जेल से बाहर निकाला जा सकता है. इसमें कोई दिक्कत नहीं है.
तस्करी के आरोपी को पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि आरोपों की जांच सीबीआई कर ही रही है. और जब राज्य ने सीबीआई को जांच के लिए मना कर रखा है तो क्या होगा? जांच में बंगलादेश सीमा पर BSF अधिकारियों और जवानों को रिश्वरखोरी के भी आरोप सामने आए है, जो जमानत पा चुके हैं.
रोहतगी ने कहा कि हक को त्रिवेंद्रम से 2018 में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया था. मार्च 2018 में उसकी जमानत अर्जी खारिज की गई लेकिन मई 2018 में उसे डिफॉल्ट बेल नियम के तहत अपने आप जमानत पर रिहा कर दिया गया.
मई 2018 में ही सीबीआई ने प्रारंभिक तफ्तीश की तहरीर दर्ज कर जांच शुरू की, उसमें बीएसएफ के कमांडेंट भी आरोपी बनाए गए थे. तब एक और एफआईआर दर्ज की गई. मुद्दा भारत से बड़ी तादाद में पशुओं की बांग्लादेश में तस्करी करने और उसमें बीएसएफ की सांठगांठ की बात सामने आई थी.उस समय बरामद और जब्त किए गए पशुओं की नीलामी भी की गई थी. तब हक और अन्य ने बेहद कम बोली लगा कर बीएसएफ के साथ सांठगांठ से औने पौने दाम में जानवर खरीद लिए थे. हक पर बीएसएफ और कस्टम अधिकारियों को रिश्वत देकर तस्करी करने का आरोप है. इसके बाद सितंबर 2018 में सीबीआई ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में मामला दर्ज किया.
सीबीआई की ओर से अमन लेखी ने दलील देते हुए कहा कि आरोपी हक के खिलाफ कोच्चि में भी मामले दर्ज हैं. उनसे तो ये साबित हो जाता है कि हक आदतन अपराधी है और सीमा पार कहीं ढील और परिस्थितियों का लाभ लेकर देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहता है. इसे जमानत के लिए इंकार कर हाईकोर्ट ने बिल्कुल ठीक किया था.
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