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This Article is From Jun 01, 2019

BJP के कद्दावर नेता मनोज सिन्हा गाजीपुर में कैसे हारे? पढ़ें- इनसाइड स्टोरी

बीजेपी के कद्दावर नेता मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) गठबंधन के बसपा उम्मीदवार अफजाल अंसारी से 119,392 मतों से चुनाव हार गए.

BJP के कद्दावर नेता मनोज सिन्हा गाजीपुर में कैसे हारे? पढ़ें- इनसाइड स्टोरी
बीजेपी के कद्दावर नेता मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) गाजीपुर से चुनाव हार गए.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड जीत दर्ज की. उत्तर प्रदेश में भी पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा और 62 सीटों पर कब्जा जमाया. यूपी से पार्टी के सभी दिग्गज नेता लोकसभा में पहुंचने में कामयाब रहे, लेकिन तमाम दिग्गजों की जीत से ज्यादा चर्चा एनडीए-1 की सरकार में मंत्री रहे मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) की हार की हुई. प्रचार के दौरान वाराणसी में पीएम मोदी ने कहा था कि चुनाव में 'केमिस्ट्री के आगे गणित' फेल हो जाता है, लेकिन वाराणसी से सटे गाजीपुर में यह केमिस्ट्री काम नहीं आई और गणित भारी पड़ गया. बीजेपी बड़े अंतर से गाजीपुर की सीट गठबंधन के हाथों हार गई. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटी 4 लोकसभा सीटें हैं. पूरब में चंदौली, पश्चिम में मछली शहर, दक्षिण में मिर्जापुर और उत्तर में गाजीपुर. इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इनमें से तीन सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन गाजीपुर सीट पर हार का सामना करना पड़ा.  

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बीजेपी के कद्दावर नेता मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) गठबंधन के बसपा उम्मीदवार अफजाल अंसारी से 119,392 मतों से चुनाव हार गए. दरअसल, गाजीपुर सीट पर गठबंधन का गणित इतना मजबूत था कि भाजपा की केमिस्ट्री उसे तोड़ नहीं पाई. हालांकि केमिस्ट्री ने अपना काम किया, मगर वह उतनी कारगर नहीं थी कि जीत दिला पाती. गाजीपुर में लगभग 4 लाख यादव, इतने ही दलित, डेढ़ लाख मुसलमान, 3 लाख अन्य ओबीसी जातियां, 2 लाख क्षत्रिय, 55 हजार भूमिहार और एक लाख बाकी सवर्ण जातियां हैं. आंकड़ों पर नजर डालें तो यह सीट मनोज सिन्हा के लिए मुफीद नहीं थी. 2014 के चुनाव में भी मनोज सिन्हा सपा प्रत्याशी शिवकन्या कुशवाहा को महज 32,452 मतों से ही पराजित कर पाए थे. 2014 में मनोज सिन्हा को कुल 306,929 वोट मिले थे. तब सपा और बसपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. बसपा उम्मीदवार कैलाश यादव को 2,41,645 मत मिले थे. इस बार सपा-बसपा मिलकर चुनाव लड़ीं और इस गणित के आगे सिन्हा पहले ही चुनाव हार गए थे.  

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सूत्रों के अनुसार, इन्हीं कारणों से भाजपा ने इस बार उन्हें बलिया से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सिन्हा (Manoj Sinha) को अपने काम और केमिस्ट्री पर भरोसा था. पांच साल में उन्होंने क्षेत्र में जमकर काम कराया था. चार लेन वाला हाईवे, गंगा नदी पर रेलवे पुल, मेडिकल कॉलेज, स्पोर्ट्स स्टेडियम, आधुनिक रेलवे स्टेशन जैसी कई परियोजनाएं उन्होंने शुरू कराई थी. इन विकास कार्यों का असर यह हुआ कि इस बार उन्हें 2014 के मुकाबले 140,031 वोट अधिक मिले. उन्हें कुल 446,960 वोट मिले. यही नहीं उनके वोटों में वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अधिक रही. मोदी को इस बार 2014 के मुकाबले वाराणसी में 93,641 वोट अधिक मिले थे, लेकिन अफजाल अंसारी ने 564,144 वोट हासिल कर लिए, और मनोज सिन्हा चुनाव हार गए. (इनपुट- IANS) 

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