सोमवार को ब्रिटिश संसद में भारत में 'किसानों की सुरक्षा' और 'प्रेस की आजादी' के मुद्दों को लेकर सांसदों ने एक चर्चा की, जिसे लेकर लंदन स्थित भारत के उच्चायोग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उच्चायोग ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया है कि इस चर्चा में संतुलित बहस की बजाय आधारहीन बातें की गई हैं. बयान में कहा गया है, 'अफसोस है कि एक संतुलित बहस की बजाय बिना तथ्यों और पुष्टि के आधारहीन बातें सामने रखी गई हैं और दुनिया के सबसे लोकतंत्र और इसकी संस्था की अखंडता पर हमला किया गया है.'
बयान में कहा गया है, 'ब्रिटिश मीडिया सहित कई विदेशी मीडिया संस्थान भारत में मौजूद हैं और उन्होंने इस मुद्दे को खुद देखा है. भारत में मीडिया की आजादी के अभाव का कोई मुद्दा ही नहीं है.' भारतीय उच्चायोग ने कहा कि उसे बहस पर प्रतिक्रिया देनी पड़ी क्योंकि उसमें भारत को लेकर आशंकाएं व्यक्त की गई थीं.
सोमवार को ब्रिटिश संसद में भारत में 'किसानों की सुरक्षा' और 'प्रेस की आजादी' के मुद्दों पर बहस के लिए 90 मिनट का वक्त दिया गया था. भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया को लेकर लेबर पार्टी, लिबरल डेमोक्रेट्स और स्कॉटिश नेशनल पार्टी के कई सांसदों ने यह मुद्दा उठाया था. भारतीय मूल के लिबरल डेमोक्रेट नेता गुर्च सिंह ने इन मुद्दों पर एक पीटिशन शुरू किया था, जिसपर कुछ ही हफ्तों के भीतर एक लाख से ज्यादा यूके निवासियों के हस्ताक्षर आ गए थे. इसके बाद इस बहस के लिए संसद में वक्त रखा गया था.
यूके की बोरिस जॉनसन की सरकार ने इसपर कहा है कि 'यह मुद्दा दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात के दौरान उठाया जाएगा.' हालांकि, ब्रिटेन की सरकार पहले ही भारत के तीन नए कृषि कानूनों के मुद्दे को उसका ‘घरेलू मामला' बता चुकी है.
ब्रिटिश सरकार ने भारत की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, ‘भारत और ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बेहतरी के लिए एक बल के रूप में काम करते हैं और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग कई वैश्विक समस्याओं को सुलझाने में मदद करता है.'
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