लद्दाख की गालवान घाटी में 15 जून को चीन का कायराना हरकत का जिस तरह से भारतीय सेना की बिहार रेजीमंट के जवानों ने जवाब दिया है उसका लोहा पूरी दुनिया मान चुकी है. ऐसा कोई पहली बार नहीं है जब बिहार रेजीमेंट (Bihar Regiment) के जवानों ने देश के दुशमनों के खिलाफ अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया हो. भारतीय सेना ने शनिवार को बिहार रेजिमेंट के सैनिकों के साहस और वीरता को सलाम करते हुए एक वीडियो ट्वीट किया और 21 साल पहले कारगिल युद्ध में उनके योगदान को याद किया.
इंडियन आर्मी की नॉर्दन कमांड की के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंड से जारी किए गए इस वीडियो में बिहार रेजीमेंट की शौर्य गाथा दिखाई गई है. इस ट्वीट के साथ सेना ने लिखा है, '#भारतीयसेना #कारगिल के 21 साल...ध्रुव योद्धाओं की गाथा और बिहार रेजीमेंट के शेर लड़ने के लिए जन्में हैं. वे बैट नहीं बैटमैन हैं. हर सोमवार के बाद मंगलवार आता है. बजरंग बली की जय'
#IndianArmy #21yearsofKargil
— NorthernComd.IA (@NorthernComd_IA) June 20, 2020
The Saga of #DhruvaWarriors and The Lions of #BiharRegiment.
"Born to fight.They are not the bats. They are the Batman."
"After every #Monday, there will be a #Tuesday. Bajrang Bali Ki Jai"@adgpi@MajorAkhill #NationFirst pic.twitter.com/lk8beNkLJ7
1 मिनट 57 सेकंड के वीडियो में 1857 से 1999 तक रेजिमेंट द्वारा उठाए गए कुछ सबसे अधिक हर्कुलियन मिशन का पता चलता है, जब बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन ने पाकिस्तानी सेना से कारगिल में एक रणनीतिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था.
वीडियो में मेजर अखिल प्रताप कहते हैं, “यह वही महीना था, 21 साल पहले. बिहार रेजिमेंट ने कारगिल घुसपैठियों को मार गिराया था. वे ऊंचाइयों पर भी थे और क्या वे तैयार थे. वे हिम्मत के साथ गए और गौरव के साथ वापस आए, "सेना ने कर्नल संतोष बाबू को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने इस सप्ताह पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारत के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया.
कर्नल बाबू, जो 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे, उन 20 बहादुरों में से थे, जो 15 जून की आधी रात को एक चीनी सेना के साथ हुई झड़प में वीरगति को प्राप्त हुए थे. इस झड़प में बिहार रेजिमेंट के 12 सैनिकों को जान गवांनी पड़ी थी.
बिहार रेजिमेंट स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना द्वारा लड़े गए सभी प्रमुख युद्धों का एक हिस्सा रहा है, उनके बीच उल्लेखनीय कारगिल युद्ध था जब बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन ने 6-7 जुलाई, 1999 की रात को पाकिस्तानी सेना से एक रणनीतिक बिंदु पर कब्जा कर लिया था. बिहार रेजिमेंट ने सोमालिया में भारत के संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में भी भाग लिया है.
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