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This Article is From May 24, 2020

सीमा पर भारत का प्लान '61': चीन की हरकत के पीछे छिपी है उसकी घबराहट?

दो साल पहले डोकलाम में हुए विवाद के बाद यह पहला मौका है जब भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं और तनाव चरम पर है. हालांकि डोकलाम के बाद भी छिटपुट घटनाएं सीमा पर होती रही हैं लेकिन इस बार फिर लद्धाख सीमा पर बात जवानों की संख्या बढ़ाने तक पहुंच गई है.

सीमा पर भारत का प्लान '61': चीन की हरकत के पीछे छिपी है उसकी घबराहट?
डोकलाम के बाद यह पहला मौका है जब तनाव इतने चरम पर है.(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

दो साल पहले डोकलाम में हुए विवाद के बाद यह पहला मौका है जब भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं और तनाव चरम पर है. हालांकि डोकलाम के बाद भी छिटपुट घटनाएं सीमा पर होती रही हैं लेकिन इस बार फिर लद्धाख सीमा पर बात जवानों की संख्या बढ़ाने तक पहुंच गई है. जहां चीनी सेना ने टेंट लगा दिए हैं तो दूसरी ओर भारत ने भी ताकत को बढ़ा दिया है. इसी महीने 5 और 6 मई के बीच ईस्टर्न लद्दाख में भारतीय और चीनी सेना के बीच भी  झड़प हुई थी जिसमें दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे. इसके बाद प्रोटोकॉल के तहत विवाद को सुलझाया गया और मामला को शांत कराया गया. इसके बाद 9 मई को भारत और चीनी सेना के बीच सिक्किम के नकुला सेक्टर में हुई झड़प हुई. 5000 फीट की ऊंचाई पर नकुला सेक्टर पर इस झड़प में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हाथापाई हुई जिसमें सात चीनी सैनिक और चार भारतीय जवान घायल हुए. हालांकि स्थानीय स्तर पर दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत के बाद मामले को शांत कराया गया. 

दो जगहों पर है विवाद 
मौजूदा विवाद दो जगहों पर है. पूर्वी लदाख के गलवान नाला और फिंगर 4 का इलाका जो पैंगोंग झील के पास है. गलवान घाटी में भारत के बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन (BRO) सीमा के भीतर ही सड़क का आधारभूत ढांचा तैयार करने में चीनी सेना ने बाधा पैदा की. जिसके बाद विवाद गहरा गया और चीन ने करीब 1000 की तादाद में अपने जवान तैनात की इसके जवाब में भारतीय सेना की भी तैनाती बढ़ा दी.  चीन ने फिंगर इलाके में नए बंकर और टेंट भी लगाए वहां भी भारतीय सेना ने भी सीमा पर अपने जवानों की तादाद बढ़ा दी.

इस तनाव को कम करने के लिए एक बार फिर से हर स्तर पर बातचीत जारी है. राजनैतिक, राजनयिक और सेना के स्तर पर मामले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है. हालांकि सेना ने की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है लेकिन इस बात का जरूर खंडन किया गया है कि  गश्त के दौरान चीनी सेना ने न तो आईटीबीपी के जवानों को हिरासत में लिया गया और न उनके हथियार छीने हैं.

सीमा विवाद क्यों है?
भारत-चीन सीमा पर सीमांकन नही है इसलिए दोनों देशों की सेनाएं अपने-अपने दावे करती रहती हैं.  विवाद सुलझाने के लिये करीब 20 बार  विशेष प्रतिनिधि स्तर पर हो चुकी है बातचीत लेकिन ठोस नतीजा नही निकला.  इतना ही प्रधानमंत्री मोदी और चीन के रास्ट्रपति भी सीमा पर विश्वास बहाली के लिये कर चुके है कोशिश लेकिन आये दिन बॉर्डर पर हालात तनावपूर्ण हो जाते हैं. फिलहाल भारतीय सैनिक लगातार क्षेत्र में निगरानी बनाए हुए हैं जहां का तापमान माइनस 40 डिग्री के भी नीचे रहता है. 

क्यों घबरा रहा है चीन
दरअसल चीन की ओर से की जा रही है इन हरकतों के पीछे उसकी घबराहट भी छुपी है. चीन से लगी सीमा से लगे क्षेत्र में 61  सड़कों का निर्माण एवं सुधार करने के लिए 2018-19 से 2022-23 तक बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने खास योजना  बनाई है. 272 सड़कों में से 3323.57 किमी की लंबाई की 61 सड़कों की पहचान रणनीतिक तौर पर की गई है.  इसमें से 2304.65 किमी पर काम पूरा हो चुका है. बाकी की सड़कों पर काम तेजी से जारी है.  

खबर है कि इस समय श्योक और गलवान नदी पर निर्माण कार्य किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक चीन ने डब्रुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की तरफ निर्माण करने पर आपत्ति जताई है. भारत-चीन बॉर्डर पर तनाव का मुद्दा सिर्फ सड़क निर्माण का है. चीन का कहना है कि भारत निर्माण के लिए चीन की सीमा का इस्तेमाल कर रहा है जबकि भारत का कहना है कि वह अपनी सीमा में रहकर ही निर्माण कार्य कर रहा है. 

आपको बता दे कि गलवान इलाका रणनैतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण दौलत बेग ओल्डी, देपसांग का पठार के पास है. ये  अक्साई चीन का वो इलाका है जिसपर चीन ने 1962 में पूरी तरह से कब्जा कर लिया है. भारत ने दौलत बेग ओल्डी तक जाने वाली 235 किमी लंबी सड़क को भी 2019 में पूरा कर लिया है.  अब दौलत बेग ओल्डी एयरबेस पर वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयर क्राफ्ट सी 130 से लेकर सी 17 तक लैंड करते हैं. इससे भारत जब चाहे आसानी से बॉर्डर पर सेना से लेकर हर तरह के साजो समान पहुंचा सकता है. इससे भी चीन की नींद उड़ी है.

पिछले साल कुछ सालों चीन सीमा पर खास जोर
आपको बता दें कि पिछले कुछ सालों में चीन से लगी सीमा पर कुछ ज्यादा ध्यान दिया गया है.. खासकर केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद.. पहले सीमा पर निर्माण काम करने में भारत कतराता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. 

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