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This Article is From Dec 30, 2016

विदेशी निवेश के नाम पर धन की हेराफेरी रोकने के लिए सिंगापुर के साथ कर संधि में संशोधन

विदेशी निवेश के नाम पर धन की हेराफेरी रोकने के लिए सिंगापुर के साथ कर संधि में संशोधन
अरुण जेटली (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: भारत ने सिंगापुर के साथ दोहरे कराधान से बचाव की संधि (डीटीएए) में संशोधन के लिए इस दक्षिण पूर्व एशियायी देश के साथ शुक्रवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत वहां के रास्ते आने वाले निवेश पर अगले अप्रैल से पूंजी लाभ पर कर लागू होगा. इसका उद्येश्य निवेश के नाम पर काले धन की हेराफेरी पर अंकुश लगाना है.

भारत ने इससे पहले इसी साल मॉरीशस तथा साइप्रस के साथ पुरानी कर संधियों में संशोधन का करार किया था. मॉरीशस के साथ संशोधित कर संधि पर मई में हस्ताक्षर किए गए. उसके बाद से ही सिंगापुर के साथ दोहरा कर बचाव संधि (डीटीएए) में बदलाव की बात शुरू हुई थी. मॉरीशस तथा सिंगापुर भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के शीर्ष स्रोतों में शामिल हैं. देश के प्रतिभूति बाजारों में कुल प्रवाह का बड़ा हिस्सा भी इन्हीं देशों में पंजीकृत कंपनियों के जरिए आता रहा है.

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सिंगापुर के साथ किये गये संशोधित संधि के तहत एक अप्रैल 2017 से दो साल के लिये पूंजी लाभ कर मौजूदा घरेलू दर का 50 प्रतिशत के हिसाब से लगाया जाएगा. पूर्ण दर एक अप्रैल 2019 से लागू होगी. उन्होंने कहा, "इस साल 10 मई को हमने मॉरीशस के साथ डीटीएए में संशोधन किया था. उसके बाद हमने साइप्रस के साथ संशोधन किया और आज हमने सिंगापुर के साथ डीटीएए में संशोधन किया." जेटली ने कहा कि इसके साथ हमने सफलतापूर्वक इस रास्ते धन की हेराफेरी पर सफलतापूर्वक रोक लगाई है. वित्त वर्ष 2015-16 में कुल 29.4 अरब डालर के एफडीआई प्रवाह में मॉरीशस तथा सिंगापुर की हिस्सेदारी 17 अरब डालर रही.

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इससे पहले तीन देशों के साथ डीटीएए के तहत पूंजी लाभ के जरिये मुनाफे पर कर से छूट था क्योंकि मेजबान देशों में इस प्रकार का कोई शुल्क नहीं था. लाभार्थी भारत में कोई पूंजी लाभ कर नहीं देता था. उन्होंने कहा, "इसीलिए इस बात की आशंका थी कि इन समझौतों का दुरुपयोग धन को दूसरे जगह ले जाने तथा उसे फिर से उस मार्ग के जरिये देश में वापस लाने के लिये किया जा सकता है." उन्होंने कहा कि डीटीएए में संशोधन के लिहाज से 2016 महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक रहा.

जेटली ने कहा, "संधि में संशोधन के जरिये हमने अस्तित्व में रहे कालाधन बनाने के नियम को खत्म कर दिया है." वित्त मंत्री ने कहा कि मॉरीशस समझौते की तरह सभी निवेश पर मार्च 2019 तक छूट दी जाएगी. पूंजी लाभ देनदारी को आधा-आधा साझा किया जाएगा तथा उसके बाद पूरी पूंजी भारत आएगी. साथ ही स्विट्जरलैंड 2019 से 2018 के बाद अपने बैंकों में खोले गए सभी खातों तथा निवेश के बारे में सूचना साझा करेगा. उन्होंने कहा कि सीबीडीटी ने दो महीने पहले इस संबंध में स्विट्जरलैंड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

जेटली ने कहा, "कर चोरी तथा दूसरे देशों में धन रखने के खिलाफ जारी अभियान में यह मील का पत्थर है." उन्होंने कहा, ""डीटीएए में संशोधन के लिहाज से 2016 ऐतिहासिक रहा." देश में अल्पकालीन पूंजी लाभ कर की दर 15 प्रतिशत है जबकि दीर्घकालीन पूंजी लाभ कर शून्य है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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