प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
भारत और पाकिस्तान की सेनाएं बेशक पहली बार मल्टीलेयर अभ्यास में हिस्सा लेंगी, लेकिन सयुंक्त राष्ट्र शांति सेना में दोनों देशों की सेनाएं एक साथ काम करती रही हैं. शंघाई सहयोग संगठन में शामिल सभी आठ देश इस अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं. इस वजह से भारत और पाकिस्तान की सेनाएं भी इसमें हिस्सा लेंगी. दोनों देश एक साथ इसके सदस्य बने हैं और एक साल पहले अभ्यास का फैसला लिया गया था. इसके मंत्रियों की बैठक पिछले हफ्ते चीन में हुई थी. दोनों देशों के लिए इसका महत्व सांकेतिक ज़्यादा है. ना तो इससे सरहद पर तनाव घटेगा और ना ही आपसी रिश्ते बेहतर होंगे.
इसके बावजूद कईयों का मानना है कि जब दोनों देशों की सेनाएं मिलेगी तो आपसी विश्वास का माहौल तो बनेगा ही और साथ में रिश्तों में जमी बर्फ भी पिघलेगी. सेना के सूत्रों का कहना है कि जबतक पाक सीमा पार से आतंकियों को भेजना बंद नहीं करेगा तब तक सरहद पर अमन कायम नहीं हो सकता है. भारत के लिए अच्छी बात ये है कि ये अभ्यास आतंकवाद से निपटने के लिए हो रहा है जो भारत के लिए मुख्य चिन्ता का विषय है.
इसके बावजूद कईयों का मानना है कि जब दोनों देशों की सेनाएं मिलेगी तो आपसी विश्वास का माहौल तो बनेगा ही और साथ में रिश्तों में जमी बर्फ भी पिघलेगी. सेना के सूत्रों का कहना है कि जबतक पाक सीमा पार से आतंकियों को भेजना बंद नहीं करेगा तब तक सरहद पर अमन कायम नहीं हो सकता है. भारत के लिए अच्छी बात ये है कि ये अभ्यास आतंकवाद से निपटने के लिए हो रहा है जो भारत के लिए मुख्य चिन्ता का विषय है.
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