स्वदेश निर्मित आकाश मिसाइल
नई दिल्ली:
दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन की बात भारत और चीन के साथ साथ पाकिस्तान भी कई वैश्विक पटल पर कहते रहे हैं. लेकिन सीमा विवाद के चलते कई मुद्दों में एकमत नहीं होते. यहां तक आतंकवाद के खात्मे पर भी एक साथ कदम उठाने में हिचकिचाहट है. पिछले कुछ समय से चीन की पाकिस्तान की लगातार गैरजरूरी तरफदारी ने भारत के लिए चिंता पैदा कर दी है.
कहा जा रहा है कि भारत सतह से हवा में मार करने में सक्षम स्वदेशी आकाश मिसाइल को वियतनाम को बेचने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है. इतना ही नहीं भारत यह भी साफ कर चुका है कि वह अपने मित्र देशों को उनकी सुरक्षा जरूरतों के मद्देनजर आकाश मिसाइल के अलावा ब्रह्मोस मिसाइल की सप्लाई कर सकता है. माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच यह समझौता चीन के एशिया-पैसेफिक क्षेत्र में बढ़ते दबदबे के चलते भी संभव है.
गौरतलब कि आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र के आंतकियों की सूची में शामिल करने के भारत के लंबे अर्से से चले आ रहे प्रयासों को लगातार चीन ने धक्का दिया है. इतना ही नहीं एनएसजी में की सदस्यता पर भी चीन का रुख आलोचनाओं का कारण बना है.
भारत के विरोध में और इस क्षेत्र में भारत को उभरने न देने के चीन के लगातार बने रुख के चलते भारत अपने लिए कदम उठाने पर मजबूर हो रहा है. सामरिक दृष्टि से दबाव बनाने के लिए भारत भी चीन को चीन की भाषा में जवाब देने की कोशिश में है.
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक बयान में कहा कि वियतनाम करीबी दोस्त है और दोनों के रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं पिछले कुछ समय में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर वियतनाम की यात्रा कर चुके हैं और वहां के रक्षामंत्री भी भारत का दौरा कर चुके हैं. जब हाल ही रक्षामंत्री पर्रिकर से इस संबंध में सवाल किया गया था तब उन्होंने न तो इस प्रकार की खबरों से इनकार किया था न ही उन्होंने इसे स्वीकारा था.
इसके तहत भारत ने जापान, मंगोलिया और वियतनाम से रणनीतिक और सैन्य साझेदारी बढ़ाने के प्रयास और बढ़ा दिए हैं. खबर है कि भारत पूरी तरह से स्वदेश में निर्मित आकाश मिसाइल को लेकर वियतनाम से बातचीत कर रहा है. जरूरत के हिसाब से भारत वियतनाम को यह मिसाइल बेच सकता है.
जानकारी के लिए बता दें कि आकाश मिसाइल 30 किलोमीटर के दायरे में एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर और ड्रोन को निशाना बना सकती है. वियतनाम ने आकाश मिसाइल में गहरी रुचि दिखाई है. इससे पहले भारत ने वियतनाम को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और वरुणास्त्र एंटी सबमरिन भी ऑफर की थी. जानकारी के अनुसार भारत इस साल से सुखोई 30एमकेआई लड़ाकू विमानों से वियतनाम के फाइटर पायलेट्स को प्रशिक्षण भी देगा. भारत तीन साल से वियतनामी सेलर्स को किलो क्लास पनडुब्बी चलाने का प्रशिक्षण दे रहा है.
भारत और वियतनाम के बीच जुलाई 2007 में रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने को लेकर समझौता हुआ था. इसके बाद सितम्बर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान इसे विस्तार दिया गया था. इस यात्रा में पीएम मोदी ने वियतनाम के लिए 500 मिलियन डॉलर के क्रेडिट का ऐलान किया था.
इलाके में चीन के बढ़ते दखल के चलते वियतनाम भी काफी चिंतित है और अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है. इसके तहत वह रूस से किलो क्लास पनडुब्बी और सुखोई लड़ाकू विमान ले रहा है.
कहा जा रहा है कि भारत सतह से हवा में मार करने में सक्षम स्वदेशी आकाश मिसाइल को वियतनाम को बेचने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है. इतना ही नहीं भारत यह भी साफ कर चुका है कि वह अपने मित्र देशों को उनकी सुरक्षा जरूरतों के मद्देनजर आकाश मिसाइल के अलावा ब्रह्मोस मिसाइल की सप्लाई कर सकता है. माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच यह समझौता चीन के एशिया-पैसेफिक क्षेत्र में बढ़ते दबदबे के चलते भी संभव है.
गौरतलब कि आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र के आंतकियों की सूची में शामिल करने के भारत के लंबे अर्से से चले आ रहे प्रयासों को लगातार चीन ने धक्का दिया है. इतना ही नहीं एनएसजी में की सदस्यता पर भी चीन का रुख आलोचनाओं का कारण बना है.
भारत के विरोध में और इस क्षेत्र में भारत को उभरने न देने के चीन के लगातार बने रुख के चलते भारत अपने लिए कदम उठाने पर मजबूर हो रहा है. सामरिक दृष्टि से दबाव बनाने के लिए भारत भी चीन को चीन की भाषा में जवाब देने की कोशिश में है.
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक बयान में कहा कि वियतनाम करीबी दोस्त है और दोनों के रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं पिछले कुछ समय में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर वियतनाम की यात्रा कर चुके हैं और वहां के रक्षामंत्री भी भारत का दौरा कर चुके हैं. जब हाल ही रक्षामंत्री पर्रिकर से इस संबंध में सवाल किया गया था तब उन्होंने न तो इस प्रकार की खबरों से इनकार किया था न ही उन्होंने इसे स्वीकारा था.
इसके तहत भारत ने जापान, मंगोलिया और वियतनाम से रणनीतिक और सैन्य साझेदारी बढ़ाने के प्रयास और बढ़ा दिए हैं. खबर है कि भारत पूरी तरह से स्वदेश में निर्मित आकाश मिसाइल को लेकर वियतनाम से बातचीत कर रहा है. जरूरत के हिसाब से भारत वियतनाम को यह मिसाइल बेच सकता है.
जानकारी के लिए बता दें कि आकाश मिसाइल 30 किलोमीटर के दायरे में एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर और ड्रोन को निशाना बना सकती है. वियतनाम ने आकाश मिसाइल में गहरी रुचि दिखाई है. इससे पहले भारत ने वियतनाम को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और वरुणास्त्र एंटी सबमरिन भी ऑफर की थी. जानकारी के अनुसार भारत इस साल से सुखोई 30एमकेआई लड़ाकू विमानों से वियतनाम के फाइटर पायलेट्स को प्रशिक्षण भी देगा. भारत तीन साल से वियतनामी सेलर्स को किलो क्लास पनडुब्बी चलाने का प्रशिक्षण दे रहा है.
भारत और वियतनाम के बीच जुलाई 2007 में रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने को लेकर समझौता हुआ था. इसके बाद सितम्बर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान इसे विस्तार दिया गया था. इस यात्रा में पीएम मोदी ने वियतनाम के लिए 500 मिलियन डॉलर के क्रेडिट का ऐलान किया था.
इलाके में चीन के बढ़ते दखल के चलते वियतनाम भी काफी चिंतित है और अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है. इसके तहत वह रूस से किलो क्लास पनडुब्बी और सुखोई लड़ाकू विमान ले रहा है.
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