देश के पास चीन से आगे निकलने का ‘ऐतिहासिक अवसर है : सरकार

नई दिल्‍ली:

संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयकों के अटके रहने के बीच सरकार ने मंगलवार को विपक्ष से अपील की कि वह ‘बाधाकारी भूमिका’ नहीं अपनाए क्योंकि देश को अपनी विकास दर को अगले वर्ष तक 8 प्रतिशत से अधिक ले जाकर चीन से आगे निकलने का ‘ऐतिहासिक अवसर’ मिला है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में आम बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उक्त घोषणा की। साथ ही कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था में विकास दर को बढ़ाये बिना वर्तमान संसाधनों के पुनर्वितरण की गलती को नहीं दोहरायेगी और वृद्धि दर को 7 से 8 प्रतिशत तक ले जाकर अपने संसाधनों को इतना सक्षम बनाएगी ताकि गरीबी उन्मूलन एवं सामाजिक सुरक्षा के लिए पर्याप्त धन दिया जा सके।

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने 2015-16 के लिए लेखानुदानों की मांगों और वर्ष 2014-15 की अनुदान की अनुपूरक मांगों तथा उससे संबंधित विनियोग विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी। इसके साथ ही आम बजट का पहला चरण पूरा हो गया। जेटली ने कहा, ‘हमें निवेश की जरूरत है। हमें घरेलू निवेश की जरूरत है। हमें अंतरराष्ट्रीय निवेश की जरूरत है। निवेश से रोजगार सृजित होगा, निवेश से लाभ अर्जित कर सकेंगे। निवेश आएगा तब हम सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में पैसा लगा सकेंगे। अगर ऐसा माहौल नहीं बनाया गया तब निवेश नहीं होगा और देश कारोबारियों का बन कर रह जाएगा, विनिर्माताओं का नहीं बन पाएगा।’

वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ लोगों ने ‘बाधा खड़ी करने’ को अपनी विचारधारा बनाकर निवेश, राजस्व, बुनियादी ढांचे, नौकरियों और गरीबी उन्मूलन को बाधित करने का काम किया है। हमें निवेश के अनुकूल माहौल बनाना है जिससे हमारे पास बुनियादी ढांचे, नौकरियों और गरीबी उन्मूलन के लिए संसाधन हो सके। और ऐसा तब होगा तब देश की अर्थव्यवस्था 7 से 8 प्रतिशत विकास दर से बढ़ेगी। कालाधन का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि संसद के चालू सत्र में कालाधन धन पर अंकुश लगाने संबंधी विधेयक लाया जाएगा जिसमें विदेशों में बिना बताये सम्पत्ति रखने वालों पर 300 प्रतिशत तक जुर्माना और 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा।

जेटली ने कहा कि यह ऐतिहासिक अवसर है और वैश्विक स्थिति हमारे अनुकूल है। दक्षिण अफ्रीका, जापान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, यूरोप में गति धीमी हो गई है। और चीन की वृद्धि दर से हम आगे निकल गए हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का कहना है कि भारत, चीन से आगे निकल जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा, ‘इस ऐतिहासिक अवसर में भारत के सही अर्थों में आगे बढने का मौका है। दुनिया भारत की ओर देख रही है, हमें इसे एक अवसर के रूप में लेना चाहिए।’

उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया, ‘मैं अपील करता हूं कि अगले चरण में जाने के मार्ग में बाधा पैदा करने के रुख को आड़े नहीं आने दें।’ जेटली का बयान ऐसे समय में आया है जब भूमि अधिग्रहण विधेयक, कोयला तथा खान एवं खनन विधेयक राज्यसभा में अटके हुए हैं। कॉरपोरेट कर को घटाकर 25 प्रतिशत लाने के प्रस्ताव को आधार बनाकर सरकार पर अमीरपरस्त होने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि हमने यह विचार प्रत्यक्ष कर संहिता से लिया है जिसे यूपीए सरकार के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने तैयार किया था। इसके बाद भी हमारे ऊपर कॉरपोरेट का पक्षधर होने का आरोप लगाना ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा कि अभी कॉरपोरेट कर 30 प्रतिशत है जो विभिन्न कारकों के शामिल होने पर 34 प्रतिशत हो जाता है। दिखने में यह 34 प्रतिशत है लेकिन हम कॉरपोरेट क्षेत्र को इतनी छूट देते हैं कि यह वास्तव में 23 प्रतिशत रह जाता है। हम छूट को धीरे-धीरे समाप्त करेंगे और हमने कॉरपोरेट कर को 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि हम न केवल अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं बल्कि घरेलू निवेश के लिए लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। भारतीय भी दूसरे देशों में निवेश को पसंद कर रहे हैं, क्योंकि कई देशों में कर ढांचा संगत है।

जेटली ने कहा कि अतीत में राज्यों को छोटी-छोटी बातों के लिए केंद्र का मुंह देखना पड़ता था लेकिन वर्तमान सरकार ने इस सोच और चलन को बदलने का काम किया है और वह सहकारी संघवाद के साथ प्रतिस्पर्धी संघवाद को आगे बढ़ाना चाहती है। उन्होंने कहा कि हमने कर ढांचे में राज्यों का हिस्सा 10 प्रतिशत बढ़ाने के 14वें वित्त आयोग की सिफारिश को स्वीकार किया है जिसके बाद पूरे देश के कर बास्केट में राज्यों का हिस्सा बढ़कर 62 प्रतिशत हो गया है जबकि केंद्र का हिस्सा 38 प्रतिशत रह गया है। यह पुनर्परिभाषित वित्तीय संघीय ढांचा है। वित्त मंत्री ने कहा कि इसके जरिये राज्यों के खाते में 1.86 लाख करोड़ रुपये अधिक गए हैं। हमारा मानना है कि राज्य समृद्ध होंगे तब देश समृद्ध होगा।

जेटली ने कहा कि हमने अगले तीन वर्षों में राजकोषीय घाटे को 4.1 प्रतिशत से कम करके 3 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। कृषि क्षेत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सिंचाई समेत विभिन्न कृषिगत क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया है ताकि कृषि क्षेत्र का विकास हो सके। अगर भारत को विकास करना है तब कृषि क्षेत्र का विकास जरूरी है। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों के बारे में विपक्ष के आरोपों पर उन्होंने कहा कि पिछले 10 महीने में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 11 बार कम की गई। जबकि पूर्व में लागत से कम कीमत पर बेचने के कारण तेल विपणन कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपये नुकसान हुआ था। क्या हम सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को समाप्त होने दें।

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पूर्व की यूपीए सरकार के दौरान स्पेक्ट्रम, कोयला घोटाले का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रारंभ में कोयला ब्लॉक के आवंटन नीलामी के जरिये करने की बात कही थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमने कोयला ब्लॉक की नीलामी की ताकि न्यायालय को किसी पूर्व प्रधानमंत्री को बुलाना नहीं पड़े। जेटली ने वंचित लोगों के कल्याण के लिए योजनाएं पेश की साथ ही जनधन के जरिये गरीबों को बैंकिंग सेवा के दायरे में लाने का काम किया।