यह ख़बर 22 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

लड़ाकू विमानों और मिसाइलों का निर्यात कर सकता है भारत : डीआरडीओ प्रमुख

डीआरडीओ द्वारा विकसित लड़ाकू विमान तेजस की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

हथियारों का निर्यात बढ़ाने की जरूरत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जोर दिए जाने के साथ ही डीआरडीओ ने कहा है कि भारत लड़ाकू विमान और मिसाइलों की बिक्री कर सकता है, जिनकी उत्पादन लागत चीन जैसे देशों द्वारा बेचे जा रहे हथियारों से 'बहुत कम' होगी।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख अविनाश चंदर ने बताया कि शस्त्र प्रणाली के निर्यात के लिए देश को एक 'नीतिगत व्यवस्था' (पॉलिसी मैकेनिज्म) की जरूरत है और रक्षा अनुसंधान एजेंसी ने मित्र देशों को तय समय में हथियारों की बिक्री के लिए 'एकल खिड़की निकासी' का सुझाव दिया है।

उन्होंने बताया 'हमारे पास उपकरणों की सूची है, जिसमें हल्के लड़ाकू विमान 'तेजस', 'आकाश' वायु रक्षा प्रणाली, 'प्रहार' प्रक्षेपास्त्र और 'ब्रह्मोस' क्रूज प्रक्षेपास्त्र सहित अन्य कई प्रणालियां है, जिनका निर्यात किया जा सकता है।' चंदर ने कहा 'हम शस्त्र प्रणालियों के निर्यात के लिए संभावनाएं तथा एक नीतिगत व्यवस्था विकसित करने की प्रक्रिया पर चर्चा कर रहे हैं।'

डीआरडीओ के अध्यक्ष से प्रधानमंत्री की इस हालिया टिप्पणी के बारे में पूछा गया था कि भारत को अपने लिए हथियारों का उत्पादन करना चाहिए और अन्य देशों को उनकी आपूर्ति भी करनी चाहिए।

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तेजस बहुभूमिका वाला, एक इंजनयुक्त, कम वजन का लड़ाकू विमान है। आकाश 25 किमी की रेंज वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। वहीं प्रहार 150 किमी की मारक क्षमता वाली प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है, जबकि ब्रह्मोस 290 किमी की मारक क्षमता वाली एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।