जानें क्यों Indian Shipyards में आकर खड़े हो सकते हैं अमेरिकी नौसेना के जहाज

बताया जा रहा है कि दोनों देशों के इस कदम से न केवल भारत-अमेरिका रक्षा व्यापार को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

जानें क्यों Indian Shipyards में आकर खड़े हो सकते हैं अमेरिकी नौसेना के जहाज

वाशिंगटन:

भारतीय शिपयार्डों ( Indian Shipyards) में  अमेरिकी नौसेना के जहाजों के मरम्मती और व्यापार की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है. इसके लिए द्विपक्षीय रक्षा व्यापार संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए भारत और अमेरिका एक बार फिर साथ आए हैं. दोनों देशों ने सोमवार को वाशिंगटन में आयोजित भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू' मंत्रिस्तरीय बैठक में Indian Shipyards के व्यापार की संभावनाओं पर चर्चा की. 

बताया जा रहा है कि दोनों देशों के इस कदम से न केवल भारत-अमेरिका रक्षा व्यापार को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, बल्कि भारतीय शिपयार्डों के लिए अतिरिक्त व्यवसाय भी आने की उम्मीद है. 'टू प्लस टू' वार्ता में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और उनके भारतीय समकक्षों एस जयशंकर और राजनाथ सिंह ने भाग लिया. 

नौसेना क्षेत्र में रक्षा औद्योगिक सहयोग को और बढ़ाने के लिए दोनों पक्ष अमेरिकी नौसेना के जहाजों की मरम्मत और रखरखाव को लेकर भारतीय शिपयार्ड के उपयोग की संभावनाओं का पता लगाने पर सहमत हुए. बता दें कि पिछले एक दशक में भारतीय और अमेरिकी सेनाओं के बीच विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ा है. भारतीय शिपयार्डों में जहाजों की मरम्मती और रखरखाव का काम किया जाता है. 

भारत और अमेरिका ने मंगलवार को व्यापार से जुड़ी चिंताओं को दूर करने, द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने, बाजार पहुंच बाधाओं को समाप्त करने तथा कारोबार सुगमता में सुधार का संकल्प जताया. सोमवार को यहां भारत-अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों की बातचीत के समापन पर जारी एक संयुक्त बयान में यह भी कहा गया कि दोनों देशों ने अत्याधुनिक संचार प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम विज्ञान, सेमीकंडक्टर और जैव प्रौद्योगिकी जैसी महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों (सीईटी) में सहयोग को आगे बढ़ाने को लेकर एक रूपरेखा तैयार करने का निर्णय किया. 

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