जब राज गुप्ता को मालूम चला कि अस्पताल से एक एंबुलेंस उनके पिता को लेने आ रही है तो वे हैरान रह गए. हैरान होने की वजह यह थी कि अस्पताल ने ठीक 24 घंटे पहले उनके पिता ओम प्रकाश को डिस्चार्ज कर दिया था और कहा था कि उनके पिता कोरोनावायरस से संक्रमित नहीं हैं. राज को फोन पर बताया गया कि उनके पिता की कोरोना जांच में गड़बड़ी हुई है और उनके पिता कोरोना पॉजीटिव हैं. सोमवार को राज गुप्ता ने दूसरी बार अस्पताल जाते हुए अपने पिता की वीडियो बनाई. जिसके बाद उनके पिता कभी नहीं लौटे और अस्पताल में भर्ती किए जाने के 12 घंटे के भीतर ही ओम प्रकाश की मौत हो गई.
राज गुप्ता ने बताया,' मेरे पिता अस्पताल में भर्ती थे. उन्होंने कहा था कि उनका कोरोना टेस्ट पॉजीटिव आया है और घर पर ही क्वारंटाइन रहने के लिए कहा गया था. इसके अगले दिन अस्पताल से फोन आया कि पिता कोरोना नेगेटिव हैं और उनको घर ले जाया जा सकता है. पिता के डिस्चार्ज सर्टिफिकेट पर साफ लिखा है कि वे कोरोना नेगेटिव हैं. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग से दोबारा फोन आया कि मेरे पिता कोरोना पॉजीटिव हैं.' राज ने कहा ,'जो आदमी खुद के पैरों पर चल रहा हो वो कैसे मर सकता है? यह साफ तौर पर लापरवाही है, मेरे पिता की हत्या की गई है. मुझे अस्पताल और स्वास्थ्य मंत्रालय से जवाब चाहिए. हमारे परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए.'
बता दें कि मामले में स्वास्थ्य विभाग ने जांच के आदेश दे दिए हैं. मृत व्यक्ति के परिवार की 3 मई को कोरोना जांच की जाएगी. पिछले हफ्ते ओमप्रकाश ने बुखार और खासी की शिकायत की थी जिसके बाद उन्हें राज्य सरकार के ही एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था.
जब राज गुप्ता ने अस्पताल प्रशासन से पूछा था कि उनके पिता की कोरोना जांच को लेकर दो बिल्कुल उलट रिपोर्ट क्यों बताई जा रही हैं तो अस्पताल प्रशासन ने उनसे कहा था कि अगर उनके पिता कोरोना पॉजीटिव होते तो उन्हें घर नहीं जाने दिया जाता. इसके बाद लॉकडाउन की मुश्किलों के बीच जैसे-तैसे राज अपने पिता को घर लाए थे. राज गुप्ता के पास उनके पिता की आखिरी याद उनके फोन में कैद है. जब उनके पिता सीढ़ियों से उतर रहे थे और एंबुलेंस में बैठ रहे थे.
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