राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज (4 दिसंबर) सुबह 11 बजे संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में लोक लेखा समिति के शताब्दी वर्ष समारोह का उद्घाटन करेंगे. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और संसद की लोक लेखा समिति के सभापति अधीर रंजन चौधरी इस समारोह में शामिल होंगे. साथ ही और विशिष्टजनों को संबोधित करेंगे. अधीर रंजन चौधरी ने जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रपति संसद की लोक लेखा समिति के शताब्दी स्मृति चिन्ह का विमोचन करेंगे.
उद्घाटन सत्र के दौरान राष्ट्रपति समिति की एक शताब्दी की यात्रा को दर्शाने वाली प्रदर्शनी का उद्घाटन भी करेंगे. उन्होंने यह भी बताया कि समारोह के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय मंत्री, संसद सदस्य, विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारी और अन्य विशिष्टजन भी शामिल होंगे. लोक लेखा समिति के सभापति ने बताया कि बोत्सवाना, कैमरून, घाना, केन्या, इस्वातिनी, मलावी, मोजाम्बिक, नामीबिया, रवांडा, सिएरा लियोन, युगांडा, संयुक्त गणराज्य तंजानिया और मालदीव ने भी इस समारोह में शामिल होने की पुष्टि की है.
सम्मेलन के दौरान आयोजित किए जा रहे सत्रों के बारे में जानकारी देते हुए लोक लेखा समिति के सभापति ने बताया कि उद्घाटन सत्र के बाद लोक लेखा समिति नई दिल्ली स्थित संसदीय सौध के मुख्य समिति कक्ष में दो दिनों तक समिति के कार्यों से संबंधित चार एजेंडा विषयों पर विचार-विमर्श करेगी. इस सत्रों में निम्नलिखित एजेंडा मदों पर चर्चा की जाएगी.
1. वर्तमान समय में लोक लेखा समिति का कार्यकरण, चुनौतियां और भावी कार्य योजना : लोक लेखा समिति की कार्यप्रणाली को सुव्यवस्थित करना, गैर-सरकारी स्रोतों से जानकारी एकत्र करना और कार्यक्रमों/योजनाओं/परियोजनाओं के परिणामों का आंकलन करना.
2. लोक लेखा समिति की सिफारिशों का कार्यान्वयन: समय-सीमा का पालन और सिफारिशों के कड़ाई से अनुपालन के लिए तंत्र.
3. लोक लेखा समिति विकास के भागीदार के रूप में: कार्यप्रणाली को मजबूत करने और सुशासन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना.
4. लोक लेखा समिति का प्रभाव: नागरिकों के उचित प्रक्रिया के अधिकार और करदाताओं के धन के सदुपयोग को सुनिश्चित करना.
चौधरी ने 5 दिसम्बर के कार्यक्रम के बारे में बताते हुए यह जानकारी दी कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन से संबंधित शताब्दी मोनोग्राफ (1921-2021) जारी करेंगे और 5 दिसंबर को सम्मेलन में समापन भाषण देंगे. राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश और संसद की लोक लेखा समिति के सभापति अधीर रंजन चौधरी 5 दिसंबर को विशिष्ट सभा को संबोधित करेंगे.
लोक लेखा समिति के सभापति ने बताया कि लोक लेखा समिति की संकल्पना पहली बार 1921 में मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों को दृष्टिगत रखते हुए की गई थी. इसमें 22 से अधिक सदस्य नहीं होते हैं जिनमें लोकसभा से 15 और राज्य सभा के 7 से अधिक सदस्य नहीं होते हैं. हर साल समिति का पुनर्गठन किया जाता है. 1967 से लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा में विपक्षी दल के सदस्य को समिति का सभापति नियुक्त करते हैं.
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