प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
देश में फर्जी कंपनियों जिन्हें खोखा या मुखौटा कंपनियां भी कहा जाता है, के गोरखधंधे के खिलाफ सख्ती की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार ने गड़बड़ी करने वाली ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक कार्यबल गठित किया है. सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी करने में लिप्त ऐसी कंपनियों के बैंक खाते जब्त करने और सुप्त कंपनियों का पंजीकरण खत्म करने का भी निर्णय किया है. इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा शुक्रवार को की गई एक समीक्षा के बाद गठित कार्यबल में विभिन्न मंत्रालयों और प्रवर्तन एजेंसियों के सदस्य रखे गए हैं. इसका नेतृत्व राजस्व और कॉरपोरेट मामलों के सचिव करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार, ‘देश में करीब 15 लाख कंपनियां पंजीकृत हैं लेकिन इनमें से छह लाख ही अपना वाषिर्क विवरण जमा कराती हैं. इसका अर्थ है कि इनमें बहुत सी कंपनियां वित्तीय अनियमिताओं में लिप्त हैं.’
कंपनी के मंत्रालय के तहत आने वाले गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने 49 फर्जी कंपनियों के खिलाफ मामले दायर किए हैं. इन मामलों में 3,900 करोड़ रुपये का कथित रूप से धनशोधन किया गया है. इन मामलों में 559 लोगों ने 54 पेशेवरों की मदद से गड़बड़ियां की. नोटबंदी के बाद खोखा और सुप्त कंपनियों के खाते में 1238 करोड़ रुपये की नकद जमा के संदिग्ध मामले भी सामने आए हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार, ‘गड़बड़ियों में लिप्त कंपनियों के खिलाफ बेनामी लेन-देन (निरोधक) संशोधित अधिनियम-2016 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी. ऐसी कंपिनयों के बैंक खाते जब्त किए जाएंगे और सुप्त कंपनियों का पंजीकरण खत्म किया जाएगा.’
संबंधित विनियामक मंत्रालयों को खोखा कंपनियों के कारोबार की फर्जी प्रविष्टियां तैयार करने में सहायक पेशेवरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है. बयान के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय की समीक्षा बैठक में तय किया गया है कि खोखा कंपनियों की पहचान के लिए ‘कुछ संकेतक’ इस्तेमाल किए जाएंगे और ऐसी कंपनियों के निदेशकों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा और इसमें विभिन्न एजेंसियों की मदद ली जाएगी. इसमें संबंधित व्यक्तियों की आधार पहचान संख्या का भी डाटाबेस तैयार किया जाएगा. बैठक में खासकर नोटबंदी के बाद कालेधन के खिलाफ अभियान के संदर्भ में खोखा कंपनियों की कारस्तानी की समीक्षा की गई.
आयकर विभाग भी नियमों में कमी का फायदा उठाकर फर्जी कंपनियों के जरिए कर से बचने वालों के खिलाफ शिकंजा कसने में लगा हुआ है. आयकर विभाग के संज्ञान में आया है कि पिछले साल खोखा कंपनियों ने 80,000 करोड़ रुपये तक का पूंजीगत लाभ पर छूट हासिल की. इस बार के बजट 2017-18 में एक अक्टूबर 2004 के बाद ऐसी गैर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के लेन-देन पर 10 प्रतिशत पूंजीगत लाभ कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है जिन्होंने खरीद के समय प्रतिभूति लेन-देन कर (एसटीटी) नहीं दिया होगा.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कंपनी के मंत्रालय के तहत आने वाले गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने 49 फर्जी कंपनियों के खिलाफ मामले दायर किए हैं. इन मामलों में 3,900 करोड़ रुपये का कथित रूप से धनशोधन किया गया है. इन मामलों में 559 लोगों ने 54 पेशेवरों की मदद से गड़बड़ियां की. नोटबंदी के बाद खोखा और सुप्त कंपनियों के खाते में 1238 करोड़ रुपये की नकद जमा के संदिग्ध मामले भी सामने आए हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार, ‘गड़बड़ियों में लिप्त कंपनियों के खिलाफ बेनामी लेन-देन (निरोधक) संशोधित अधिनियम-2016 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी. ऐसी कंपिनयों के बैंक खाते जब्त किए जाएंगे और सुप्त कंपनियों का पंजीकरण खत्म किया जाएगा.’
संबंधित विनियामक मंत्रालयों को खोखा कंपनियों के कारोबार की फर्जी प्रविष्टियां तैयार करने में सहायक पेशेवरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है. बयान के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय की समीक्षा बैठक में तय किया गया है कि खोखा कंपनियों की पहचान के लिए ‘कुछ संकेतक’ इस्तेमाल किए जाएंगे और ऐसी कंपनियों के निदेशकों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा और इसमें विभिन्न एजेंसियों की मदद ली जाएगी. इसमें संबंधित व्यक्तियों की आधार पहचान संख्या का भी डाटाबेस तैयार किया जाएगा. बैठक में खासकर नोटबंदी के बाद कालेधन के खिलाफ अभियान के संदर्भ में खोखा कंपनियों की कारस्तानी की समीक्षा की गई.
आयकर विभाग भी नियमों में कमी का फायदा उठाकर फर्जी कंपनियों के जरिए कर से बचने वालों के खिलाफ शिकंजा कसने में लगा हुआ है. आयकर विभाग के संज्ञान में आया है कि पिछले साल खोखा कंपनियों ने 80,000 करोड़ रुपये तक का पूंजीगत लाभ पर छूट हासिल की. इस बार के बजट 2017-18 में एक अक्टूबर 2004 के बाद ऐसी गैर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के लेन-देन पर 10 प्रतिशत पूंजीगत लाभ कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है जिन्होंने खरीद के समय प्रतिभूति लेन-देन कर (एसटीटी) नहीं दिया होगा.
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