पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने शुक्रवार को मुंबई में कहा कि 2003 में नागरिकता अधिनियम में संशोधन के लिए वाजपेयी सरकार पर कभी सवाल नहीं उठाए गए, लेकिन मौजूदा सरकार की नीयत पर संदेह के चलते आज देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. सिन्हा ने उस दलील को खारिज किया कि नागरिकता कानून में संशोधन भाजपा के चुनावी वादों में शामिल था. उन्होंने पूछा कि क्या घोषणापत्र संविधान से ''बढ़कर'' है.
यशवंत सिन्हा ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में एक कार्यक्रम से इतर पीटीआई-भाषा से कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) संविधान के खिलाफ है क्योंकि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. भाजपा के पूर्व नेता सिन्हा ने कहा, ''वे (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह) पहले कही गई अपनी बातों के विपरीत बात कर रहे हैं.''
सिन्हा ने कहा, ''आपको याद है कि 2003 में कोई प्रदर्शन (हुआ हो). मुझे तो याद नहीं. कोई हो हल्ला नहीं हुआ था. हमने भारतीय नागरिकों के लिए एक राष्ट्रीय पंजी तैयार करने की बात कही थी, हालांकि इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया था क्योंकि नियम तैयार नहीं किए गए थे."
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वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे सिन्हा ने कहा, ''सीएए ने इतना व्यवधान क्यों पैदा किया? क्योंकि लोगों को सरकार की मंशा पर शक है. वाजपेयी के समय में, वे सरकार की नीयत पर शक नहीं करते थे. मौजूदा हालात में, उन्हें इस कदम के पीछे की मंशा पर संदेह है.''
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