कश्मीर घाटी में भड़की हिंसा में अब तक 40 लोगों की जान जा चुकी है
श्रीनगर:
कश्मीरी मूल की 17 वर्षीय अप्रवासी (एनआरआई) किशोरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखा है. इसमें पीएम से आंदोलनरत कश्मीरियों की आवाज सुनने की गुहार लगाई गई है.
अमेरिका के जॉर्जिया स्टेट में रह रही फातिमा शाहीन ने पत्र में लिखा है, ‘आदरणीय प्रधानमंत्री, अगर हम कश्मीरी लोगों का ख्याल रखते हैं तो उनको स्वंतत्रता से वंचित करने के लिए हम घाटी में सभी तरह की संचार व्यवस्था को बंद करके रास्ता नहीं निकाल सकते. हम लोगों को उनकी बात को सुनने के लिए सभी माध्यमों को खुला रखना होगा क्योंकि ऐसा नहीं है कि सभी कश्मीरी लोग इसके लिए पूछ रहे हैं’ इस किशोरी ने पत्र में लिखा है कि रिश्तेदारों से मुलाकात के लिए वह 10 जुलाई को कश्मीर गई थी.
शाहीन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, मैं खबरें देख रही हूं, फ्रांस के नीस में हुए हमले को दिखाया जा रहा है, इसके बाद तुर्की में तख्तापलट की कोशिश से जुड़ी खबरों को, साथ ही दक्षिणी भारत में मॉनसून से जुड़ी खबरों को लेकिन कश्मीर से जुड़ी खबरें कहां हैं? इस कारण मैं कभी नहीं जान सकती थी कि मेरे गृह शहर में इतने लंबे समय तक क्या चल रहा है, सर?’ उसने दावा किया कि किसी को भी कश्मीर के लोगों की चिंता नहीं है लेकिन सभी राज्य की जमीन चाहते हैं.
इस किशोरी ने लिखा, 'हर कोई कश्मीर चाहता है लेकिन यहां के लोगों की परवाह किसी को नहीं है. यदि हमने कश्मीर के लोगों की परवाह की होती तो हम लोगों के इस विचार की परवाह नहीं करते कि बुरहान वानी आतंकी था या शहीद. हमें यह समझने की जरूरत है कि एक अच्छे छात्र ने पेन के बजाय बंदूक (गन) को अपने करियर के रूप में क्यों चुना' गौरतलब है कि बुरहान वानी के एक मुठभेड़ में मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में भड़की हिंसा में अब तक 40 लोगों की जान जा चुकी है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अमेरिका के जॉर्जिया स्टेट में रह रही फातिमा शाहीन ने पत्र में लिखा है, ‘आदरणीय प्रधानमंत्री, अगर हम कश्मीरी लोगों का ख्याल रखते हैं तो उनको स्वंतत्रता से वंचित करने के लिए हम घाटी में सभी तरह की संचार व्यवस्था को बंद करके रास्ता नहीं निकाल सकते. हम लोगों को उनकी बात को सुनने के लिए सभी माध्यमों को खुला रखना होगा क्योंकि ऐसा नहीं है कि सभी कश्मीरी लोग इसके लिए पूछ रहे हैं’ इस किशोरी ने पत्र में लिखा है कि रिश्तेदारों से मुलाकात के लिए वह 10 जुलाई को कश्मीर गई थी.
शाहीन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, मैं खबरें देख रही हूं, फ्रांस के नीस में हुए हमले को दिखाया जा रहा है, इसके बाद तुर्की में तख्तापलट की कोशिश से जुड़ी खबरों को, साथ ही दक्षिणी भारत में मॉनसून से जुड़ी खबरों को लेकिन कश्मीर से जुड़ी खबरें कहां हैं? इस कारण मैं कभी नहीं जान सकती थी कि मेरे गृह शहर में इतने लंबे समय तक क्या चल रहा है, सर?’ उसने दावा किया कि किसी को भी कश्मीर के लोगों की चिंता नहीं है लेकिन सभी राज्य की जमीन चाहते हैं.
इस किशोरी ने लिखा, 'हर कोई कश्मीर चाहता है लेकिन यहां के लोगों की परवाह किसी को नहीं है. यदि हमने कश्मीर के लोगों की परवाह की होती तो हम लोगों के इस विचार की परवाह नहीं करते कि बुरहान वानी आतंकी था या शहीद. हमें यह समझने की जरूरत है कि एक अच्छे छात्र ने पेन के बजाय बंदूक (गन) को अपने करियर के रूप में क्यों चुना' गौरतलब है कि बुरहान वानी के एक मुठभेड़ में मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में भड़की हिंसा में अब तक 40 लोगों की जान जा चुकी है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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