गुजरात के करीब साढ़े 12 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद प्रधानमंत्री पद की बागडोर संभालने वाले नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह दिल्ली के लिए 'आउटसाइडर' हैं और दिल्ली की दुनिया के इंसान नहीं हैं।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले संबोधन में मोदी ने कहा, मैं दिल्ली के लिए आउटसाइडर हूं, मैं दिल्ली की दुनिया का इंसान नहीं हूं। मैं यहां के कामकाज को नहीं जानता। मैं यहां की एलीट क्लास से बहुत अछूता रहा हूं। उन्होंने कहा, लेकिन एक बाहर के व्यक्ति ने, एक आउटसाइडर ने दिल्ली आ करके पिछले दो महीने में, एक इनसाइडर व्यू लिया, तो मैं चौंक गया। मोदी ने कहा कि उनकी इस बात को राजनीति के तराजू से न तौला जाए।
उन्होंने कहा कि जब दिल्ली आकर उन्होंने एक इनसाइडर व्यू देखा और जो अनुभव किया, उससे वह चौंक गए। ऐसा लगा कि जैसे एक सरकार के अंदर ही दर्जनों अलग-अलग सरकारें चल रही हैं और हर एक की जैसे अपनी-अपनी जागीरें बनी हुई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे बिखराव नजर आया, मुझे टकराव नजर आया। एक विभाग दूसरे विभाग से भिड़ रहा है और यहां तक भिड़ रहा है कि उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर एक ही सरकार के दो विभाग आपस में लड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा, ये टकराव, ये बिखराव, एक ही देश के लोग। हम देश को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं? और इसीलिए मैंने कोशिशें आरंभ की हैं उन दीवारों को गिराने की। मैंने कोशिश आरंभ की है कि एक रस हो सरकार, एक लक्ष्य, एक मन, एक दिशा, एक गति, एक मति। इस मुकाम पर हम देश को चलाने का संकल्प करें। हम चल सकते हैं।
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