GHMC Election : विवादित चुनावी कैंपेन के बाद आज वोटिंग, TRS, AIMIM और BJP के लिए निर्णायक होंगे नतीजे

हैदराबाद में इस बार चुनावी मुद्दे सड़कें, सफाई, पानी, सड़कों पर बिजली, ड्रेनेज और मूलभूत नागरिक संरचनाओं से अलग हटकर इस बात पर आ गए हैं कि क्या हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जाना चाहिए या नहीं. और क्या तेलंगाना को सत्ता में नई पार्टी चाहिए या नहीं.

हैदराबाद:

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम यानी GHMC (Greater Hyderabad Municipal Corporation) के चुनावों के लिए मंगलवार को सुबह 7 बजे से वोटिंग शुरू हो गई है. इन चुनावों के लिए पिछले एक हफ्ते में खूब जबरदस्त और तनातनी वाला चुनावी कैंपेन हुआ है. यह निकाय चुनाव सत्तारूढ़ पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS), यहां अपनी जमीन तलाश रही बीजेपी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के लिए काफी अहम है.

ओवैसी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केटी रामा राव ने सुबह-सुबह वोटिंग शुरू होने के साथ ही चुनावों में अपना वोट डाला. वोटिंग शाम 6 बजे तक चलेगी. चार जिलों के 150 डिविजन में हो रहे चुनावों में कुल 1,122 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. पिछला चुनाव फरवरी, 2016 में हुआ था. उस वक्त सत्तारूढ़ TRS को 99 सीटें, AIMIM को 44 और BJP को 4 सीटें मिली थी. कांग्रेस ने दो और तेलुगु देशम पार्टी ने एक सीट पर जीत हासिल की थी.

पिछले एक दशक में निकाय चुनावों में मतदान प्रतिशत, विधानसभा चुनावों के प्रतिशत से कम ही रहा है. इनमें ज्यादा से ज्यादा 45 फीसदी वोटर टर्नआउट ही देखा गया है. 2009 में मतदान प्रतिशत 43, वहीं 2016 में 46 फीसदी था.

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9,101 पोलिंग स्टेशन्स पर भारी सुरक्षा की तैनाती हुई है. राज्य पुलिस का कहना है कि उनके पास जानकारी है कि कुछ असामाजिक तत्व वोटिंग के दौरान परेशानी पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं. कैश और शराब बांटने की अफवाहों के बीच 50,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी ग्राउंड पर तैनात हैं. कोविड के चलते बचाव के कदम उठाए गए हैं. पोलिग स्टेशन पर मास्क पहनना अनिवार्य है. हर पोलिंग बूथ को डिस्इंफेक्ट किया गया है और हर बूथ में सैनिटाइज़र रखे गए हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, GHMC इलाके में 63 कंटेनमेंट ज़ोन्स हैं. 1,700 पोलिंग स्टेशनों में, हर स्टेशन में बस 800-1,000 वोटरों को वोट डालने की अनुमति है, पहले यह सीमा 1,400 थी.

निकाय चुनावों में पहली बार दिखा इतना शोर

हैदराबाद में नगर निगम के चुनाव में पहली बार इतनी जोर-शोर लड़ाई का मैदान तैयार किया गया है. बीजेपी तो इन चुनावों में -यह जताने के लिए बदलाव जरूरी है- अमित शाह, जेपी नड्डा और योगी आदित्यनाथ जैसे अपने राष्ट्रीय नेताओं को प्रचार के लिए मैदान में ले आई.

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यहां पर चुनावी मुद्दे सड़कें, सफाई, पानी, सड़कों पर बिजली, ड्रेनेज और मूलभूत नागरिक संरचनाओं से अलग हटकर इस बात पर आ गए हैं कि क्या हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जाना चाहिए या नहीं. और क्या तेलंगाना को सत्ता में नई पार्टी चाहिए या नहीं.

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बीजेपी के बेंगलुरु साउथ के सांसद तेजस्वी सूर्या ने यहां पर TRS और AIMIM पर हमला करते हुए कई विभाजनकारी बयान दिए, वहीं उनपर चुनावी कैंपेन के दौरान ओस्मानिया यूनिवर्सिटी में बिना अनुमति के घुस जाने का आरोप भी लगा था.