कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम में सबसे पहले हैल्थ और फ्रंड लाइन वर्कस को डोज दी जाएगी
नई दिल्ली:
Covid-19 Vaccination: आधार प्रमाणीकरण (Aadhaar authentication) और करीब 12 भाषाओं में वैक्सीन लेने की पुष्टि के SMS, ये वे खास फीचर्स हैं तो जो लाखों लोगों को कोविड-19 का वैक्सीन देने के लिए भारत की ओर से विकसित किए जा रहे CoWIN APP में होंगे. कोरोना महामारी के बीच कोविन एप और इसका ecosystem को विस्तृत स्तर पर चलने वाले कोरोना वैक्सीन अभियान का मैनेज और व्यवस्थित करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
- स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आज मीडिया ब्रीफिंग में बताया गया, 'CoWIN ecosystem के जरिये वैक्सीनेशन सेशन का स्वचालित संचालन (Automated allocation) होगा. इसी तरह आधार के जरिये प्रमाणीकरण के तरीके से कदाचार (malpractice) को रोका जा सकेगा.
- किसी शख्स के वैक्सीन के डोज लेने के बाद किसी भी संभावित विपरीत प्रभाव (possible adverse effects) पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी.
- टीकाकरण में लगे हैल्थवर्कर्स और टीकाकरण के लिए इंतजार कर रहे लोगों को जानकारी देने के 12 भाषाओं में SMS भेजे जाएंगे. वैक्सीन लगवाकर एक QR कोड सर्टिफिकेट भी मिलेगा जिसे मोबाइल में स्टोर करके रखा जा सकता है.
- गवर्नमेंट डॉक्यूमेंट एप DigiLocker को भी QR कोड बेस सर्टिफिकेट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए 24x7 हेल्पलाइन होगी.
- हेल्थ केयर और फ्रंटलाइन वर्कर को Cowin एप पर रजिस्टर कराने की ज़रूरत नहीं होगी, इनका डेटा पहले ही सरकार के पास है.
- Cowin एप के ज़रिए यूनिक हेल्थ ID generate कर सकते हैं.
- वैक्सीन सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स और फ्रंट लाइन को दी जाएगी, इनमें कोरोना मरीजों के इलाज में लगे सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टर, नर्स आदि शामिल हैं. फ्रंटलाइन वर्कर्स में सुरक्षा बल, पुलिस, होम गार्ड, म्यूनिसिपल वर्कर आदि शामिल होंगे.
- इनके बाद नंबर आएगा प्राथमिकता वाले उम्र समूह का, जिसमें 27 करोड़ भारतीय होंगे, इसमें 50 वर्ष से ऊपर के लोग होंगे. 50 वर्ष कम उम्र के ऐसे लोग, जिन्हें पहले से कोई बीमारी हो.
- देश में कोरोना वैक्सीनेशन का काम पांच सिद्धातों पर आधारित होगा. तकनीक के आधार पर लागू करना, एक साल या अधिक समय की तैयारी, मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं से कोई समझौता नहीं, चुनावों व यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन कार्यक्रमों के अनुभव का लाभ लिया जाए, लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना और वैज्ञानिक और अन्य नियामकों पर कोई समझौता नहीं.
- DCGI ने जिन दो टीकों के सीमित आपात उपयोग की मंजूरी दी है, उनमें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका के द्वारा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर तैयार कोविशील्ड तथा घरेलू दवा कंपनी भारत बायोटेकके द्वारा विकसित पूर्णत: स्वदेशी कोवैक्सीन शामिल है.