सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने आदेश के बावजूद एक पत्रकार को UAPA के तहत नोटिस जारी करने पर त्रिपुरा सरकार (Tripura Government) को सख्त चेतावनी दी है और कहा है कि अदालती आदेश का सम्मान हो. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि लोगों को परेशान करना बंद करें नहीं तो गृह सचिव और SP को तलब करेंगे.
अदालत ने पत्रकार समीउल्लाह शब्बीर खान के ट्वीट के लिए त्रिपुरा पुलिस द्वारा जारी किए गए नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर नाराज़गी जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा सरकार से कहा कि जब अदालत ने 10 जनवरी को याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कार्यवाही ना करने के आदेश दिए थे तो नोटिस देकर क्यों पेश होने को कहा गया?
सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि अगर वो पक्षों को "परेशान" करना जारी रखेंगे तो अधिकारियों को अदालत में तलब कर लिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने शब्बीर के खिलाफ कोई कठोर कार्यवाही ना करने के आदेश को त्रिपुरा पुलिस के एसपी को भेजने को कहा. दरअसल शब्बीर की ओर से अदालत को बताया गया था कि अदालती रोक के बावजूद पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 41 A के तहत उन्हें नोटिस भेजा है और आज ही आगरतला में पेश होने को कहा है.
अपनी याचिका में शब्बीर ने कोर्ट से कहा, "हम आपके सामने सभी मामलों का उल्लेख करने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं क्योंकि आज मामले में अन्य याचिकाकर्ताओं को इस तरह के नोटिस जारी किए गए हैं. हमें उससे सुरक्षा प्रदान करें." इस पर SC ने त्रिपुरा के वकील से कहा, "अपने अधिकारियों से कहें कि वे याचिकाकर्ताओं को इस तरह परेशान न करें.
हर कोई सुप्रीम कोर्ट नहीं आ सकता."
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "क्या यह बहुत सहज नहीं है कि आप कहते हैं कि आपके पास अभी निर्देश नहीं हैं." जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "जब हमने एक आदेश पारित किया है, तो आपने इसे लागू नहीं करने की हिम्मत कैसे की? हम आपके गृह सचिव और SP को अगली बार स्क्रीन पर उपस्थित होने के लिए कहेंगे. कम से कम हमारे आदेश के प्रति सम्मान दिखाएं. जब हमने किसी मुद्दे को संभाला हो."
इसी दौरान SG तुषार मेहता ने बीच बचाव करते हुए कहा, "मैं इस पीठ को विश्वास दिलाता हूं कि इस अदालत के आदेश का पूरी पवित्रता के साथ सम्मान किया जाएगा." दरअसल सुप्रीम कोर्ट तब नाराज हुआ जब त्रिपुरा के वकील ने कहा कि उनके पास कोई निर्देश नहीं हैं. दो सप्ताह तक सुनवाई को होल्ड करें. इस पर जस्टिस सूर्य कांत ने कहा जब हम आज नोटिस जारी कर रहे हैं तो आपका क्या मतलब है होल्ड करें?
अदालत ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता को 10 जनवरी, 2022 के आदेश के तहत संरक्षित किया गया है इसलिए उसकी मां के नाम से जारी धारा 41 ए नोटिस के तहत उसके खिलाफ कोई और कदम नहीं उठाया जाएगा. इस मामले में दस जनवरी को ट्वीट करने वाले पत्रकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार के खिलाफ त्रिपुरा पुलिस के कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी. पत्रकार समीउल्लाह शब्बीर खान पर UAPA सहित कई धाराओं के तहत FIR दर्ज हैं. खान ने त्रिपुरा सांप्रदायिक हिंसा पर ट्वीट किया था और अपने ट्वीट में राज्य पुलिस को टैग किया था. इसके बाद उन पर पुलिस ने UAPA के तहत केस दर्ज कर लिया था.
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