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गृहमंत्रालय ने 26/11 हमले के एकमात्र जिंदा आतंकवादी अजमल आमिर कसाब की दया याचिका खारिज कर दी है। अपनी सिफारिश गृहमंत्रालय ने राष्ट्रपति भवन को भेज दी है।
सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेज दी है। अब इस महत्वपूर्ण मसले पर अंतिम फैसला राष्ट्रपति करेंगे।
उच्चतम न्यायालय द्वारा मुंबई आतंकी हमले के सिलसिले में मौत की सजा बरकरार रखने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कसाब ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की थी।
शीर्ष अदालत ने 29 अगस्त को लश्कर ए तय्यबा के इस आतंकवादी की मौत की सजा को बरकरार रखा। इससे पहले निचली अदालत ने कसाब को सजा-ए-मौत दी थी, जिसे बंबई उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था।
कसाब और उसके अन्य नौ साथी पाकिस्तानी आतंकवादी 26 नवंबर 2008 को कराची से समुद्र मार्ग से दक्षिण मुंबई पहुंचे। उन्होंने कई जगह पर गोलीबारी की, जिसमें कई विदेशी नागरिकों सहित 166 लोग मारे गए थे।
कसाब को जीवित पकडा गया जबकि अन्य आतंकवादी सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए। कसाब को मुंबई की आर्थर रोड जेल में बुलेटप्रूफ बैरक में रखा गया है।
इससे पहले महाराष्ट्र के गृह विभाग ने भी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से सिफारिश की थी कि वह कसाब की दया याचिका नामंजूर कर दें।
(इनपुट भाषा से भी)
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