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This Article is From Jul 21, 2016

पैलेट गन जैसे गैर घातक हथियारों का क्‍या हो विकल्‍प, इस पर गृह मंत्री ने बनाई कमेटी

पैलेट गन जैसे गैर घातक हथियारों का क्‍या हो विकल्‍प, इस पर गृह मंत्री ने बनाई कमेटी
लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह
नई दिल्‍ली: घाटी के अस्पतालों में घायल हुए लोग बता रहे हैं कि किस तरह वो घायल हुए। ये सवाल केंद्रिय सुरक्षा बलों के सामने भी है कि आख़िर उनके द्वारा इस्तेमाल की जा रही पैलेट गन से इतनी गंभीर चोटें क्यों लग रही हैं। गृह मंत्री ने जो आंकड़े संसद में दिए उनके मुताबिक़...

- 2016 में एक शख़्स की मौत पैलेट गन के इस्तेमाल से हुई जबकि 2010 में 6 लोग मारे गए थे।
- 2016 में 53 घायल हुए जबकि 2010 में 198 घायल हुए थे।
- 2016 में 23 लोगों को आंख में चोट लगी है जबकि 2010 में 5 लोग पूरी तरह से अंधे हो गए थे।


गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा, "मैं सदन को बताना चाहता हूं कि पैलेट गन का इस्तेमाल पहली बार नहीं हुआ। वैसे मैंने एक्‍सपर्ट कमेटी बना दी है ताकि पता लगाया जा सके कि इन नॉन लीथल वेपन का क्या विकल्प है। ये कमेटी दो महीने में अपनी रिपोर्ट सोपेंगी।'

पाकिस्तान को भी गृह मंत्री ने आड़े हाथों लिया और कहा कि कश्मीर के नौजवानों की चिंता करना वो छोड़ दे। यही नहीं, ये भी बोला कि जिस बुरहान वानी से कुछ पार्टियां सहानभूति दिखा रही थी वो हाफ़िज़ सईद के साथ सम्पर्क में था। कश्मीरियों को गृह मंत्री ने आश्वासन भी दिया कि जल्द घाटी आएंगे और उनका दुःख सुनेंगे।

उधर घाटी में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने सर्वदलिय बैठक बुलाई जिसमें घाटी में किस तरह शांति बहाल की जाए इस पर चर्चा हुई। लेकिन नेशनल कॉन्‍फ्रेंस इस बैठक में शामिल नहीं हुई। इस बीच घाटी में स्कूल खोले जा रहे हैं और धीरे धीरे कर्फ़्यू में भी ढील दी जा रही है। अलगाववादी नेताओं ने बंद का आह्वान जुलाई 25 तक बढ़ा दिया है। उनके बंद का असर ना हो इसलिए पुलिस ने स्ट्रैटेजी के मुताबिक़ स्कूल खोले और कर्फ़्यू में भी ढिलाई बरती जा रही है। इस बीच गृह मंत्री ने आश्वासन दिलाया कि जल्द ही वो ऑल पार्टी डेलगेशन लेकर घाटी जाएंगे और लोगों की बात सुनेंगे।

पैलेट गन क्या है?
ये पंप करने वाली बंदूक होती है जिसमें कई तरह के कारतूस इस्तेमाल होते हैं। कारतूस 1 से 12 के रेंज में होते हैं, एक को सबसे तेज़ और ख़तरनाक माना जाता है। इसका असर काफ़ी दूर तक होता है। पैलेट गन से फायर किए गए एक कारतूस में 500 तक रबर और प्‍लास्टिक के छर्रे हो सकते हैं। फायर करने के बाद कारतूस हवा में फूटते हैं और छर्रे एक जगह से चारों दिशाओं में जाते हैं।

सुरक्षा बलों का क्या कहना है?
सुरक्षा बल अत्यधिक संयम बरतते हैं। ज़्यादातर यहां यानी घाटी में 9 बोर का कारट्रिज इस्तेमाल होता है। ये घातक नहीं होता है। लेकिन इन प्रदर्शनों में एक शख़्स की मौत पैलेट गन से हुई है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस बात की माफ़ी भी कश्मीरी अवाम से मांग चुके हैं।

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