मुंबई:
बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर कर स्पष्ट करे कि उसने किस मंशा के तहत वह सर्कुलर जारी किया जिसमें पुलिस अधिकारियों से कहा गया था कि राजनीतिज्ञों से मिलने वाले निर्देशों को रिकॉर्ड न किया जाए। न्यायमूर्ति बीएच मर्लापल्ले और न्यायमूर्ति आरवी मोरे की सदस्यता वाली एक खंडपीठ ने पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया है। पूर्व पत्रकार केतन तिरोडकर की ओर से दायर याचिका के सिलसिले में अदालत ने 11 नवंबर 2010 को जारी सर्कुलरकी बाबत सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। न्यायमूर्ति मर्लापल्ले ने कहा यदि सरकार पुलिस के अधिकारों में कटौती की कोशिश कर रही है तो हम इसे नहीं होने देंगे। गौरतलब है कि सर्कुलरमें कहा गया था कि पुलिस नियमावली के तहत जरूरी चीजों के अलावा पुलिस को विधान सभा सदस्यों की ओर से दिए गए निर्देशों को अपनी स्टेशन डायरी में कतई नहीं लिखना है। अपनी याचिका में तिरोडकर ने कहा है कि सर्कुलर भेदभावपूर्ण है।
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