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This Article is From Sep 14, 2011

हाई कोर्ट धमाका : किश्तवाड़ से दो गिरफ्तार

जम्मू/नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय परिसर में विस्फोट की जिम्मेदारी लेता ई-मेल भेजने के मामले में बुधवार को जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ से दो लोगों को साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 120 :बी: :आपराधिक षड्यंत्र: के तहत आबिद और शरीक को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और जम्मू कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया। ई-मेल मामले में यह पहली गिरफ्तारी हुई है। दोनों पर बीते बुधवार दिल्ली उच्च न्यायालय परिसर में विस्फोट होने के करीब एक घंटे के भीतर ई-मेल भेजने का आरोप है। इस विस्फोट में 13 लोगों की मौत हुई थी। आतंकवादी हमले के एक सप्ताह बाद भी जांच में अब तक कोई बड़ी सफलता हासिल नहीं हो पाई है लेकिन केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने कहा कि कुछ सुराग मिले हैं और कुछ गिरफ्तारियां भी हुई हैं। हालांकि उन्होंने इस बारे में कोई विवरण नहीं दिए। उन्होंने मामले की जांच के बारे में पूछे जाने पर कहा, कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। सिंह ने कहा कि मामले की जांच कर रही एनआईए ने कुछ सुराग हासिल किए हैं और जांच में प्रगति हो रही है। सिंह ने यहां एक कार्यक्रम से इतर कहा, हमारे पास सुराग हैं। जांच में प्रगति भी हुई है। हमने इस बारे में जो कुछ भी प्रगति की है, हम उसका खुलासा नहीं करना चाहते क्योंकि इससे जांच पर असर पड़ेगा। बताया जा रहा है कि आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी लेता ई-मेल भेजने के लिये आबिद या शरीक ने हरकतउलजिहादी2011 एट द रेट जीमेल डॉट कॉम का इस्तेमाल किया। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि उनसे पूछताछ की जा रही है और विस्फोट की साजिश में उनकी भूमिका की भी जांच हो रही है। किश्तवाड़ स्थित उस साइबर कैफे के रिकॉर्ड की भी जांच हो रही है जहां से ई-मेल भेजा गया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या अपराध को अंजाम दिये जाने से आबिद या शरीक का कोई संबंध है। बहरहाल, सूत्रों ने कहा कि दोनों का कोई आपराधिक या आतंकवादी गतिविधियों का रिकॉर्ड नहीं रहा है। सूत्रों के मुताबिक, हो सकता है कि दोनों ने किसी और के कहने पर ई-मेल भेजा हो। पूछताछ के दौरान दोनों ने चुप्पी साधे रखी। उन दोनों की लाई डिटेक्टर और अन्य वैज्ञानिक जांच हो सकती है। ई-मेल में कहा गया था, हम दिल्ली उच्च न्यायालय में हुए विस्फोट की जिम्मेदारी लेते हैं। हमारी मांग यह है कि अफजल गुरु की मौत की सजा को तुरंत निरस्त किया जाये अन्यथा हम उच्चतम न्यायालय और प्रमुख उच्च न्यायालयों को निशाना बनाएंगे।

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