चिंतन उपाध्याय और हेमा उपाध्याय (फाइल फोटो)।
मुंबई:
कलाकार हेमा उपाध्याय और उसके वकील की हत्या में गिरफ्तार मशहूर मूर्तिकार चिंतन उपाध्याय की पुलिस हिरासत खत्म हो गई। मुंबई पुलिस को चिंतन से पूछताछ के लिए कुल 14 दिन मिले लेकिन वह उससे कुछ भी उगलवा नहीं पाई।
नारको टेस्ट को लेकर फिलहाल फैसला नहीं
22 दिसंबर 2015 को अपनी गिरफ्तारी से पहले कई दिन तक मुंबई क्राइम ब्रांच के सवालों का सामना करने के बाद चिंतन ने 14 दिन तक कांदिवली पुलिस की हिरासत भी काट ली, लेकिन पुलिस उससे कुछ भी खास उगलवा नहीं पाई। अब तो पुलिस को नार्को टेस्ट का सहारा है लेकिन उसकी भी इजाजत अभी तक नहीं मिल पाई है। चिंतन के वकील अमरेंद्र मिश्रा के मुताबिक 'हमने नार्को टेस्ट कराए जाने का पहले ही विरोध किया है और जल्द ही हम अपना जवाब भी अदालत में पेश करेंगे।'
पुलिस के पास पर्याप्त सबूत नहीं
आरोपी चिंतन पर शक की सबसे बड़ी वजह उसकी पत्नी हेमा से पुरानी अनबन और तलाक को लेकर अदालती लड़ाई है। हत्या के पहले अदालत में जमा किए गए अपने हलफनामे में हेमा ने चिंतन पर पिटाई और दुर्व्यहार का आरोप भी लगाया था। लेकिन चिंतन को दोषी साबित करने के लिए सिर्फ इतना काफी नहीं है। अदालत में परिस्थितिजन्य सबूतों के साथ सुपारी के रुपयों का लेन-देन, टेक्निकल सबूत और गवाहों की भी दरकार होगी।
विद्याधर राजभर पहुंच से बाहर
पुलिस की मानें तो चिंतन ने ही विघाधर राजभर के साथ मिलकर दोनों की हत्या की साजिश रची और जरूरी इंतजाम भी किए। लेकिन उसकी मुसीबत है कि अब तक विघाधर उसके हत्थे नहीं चढ़ा है।
नारको टेस्ट को लेकर फिलहाल फैसला नहीं
22 दिसंबर 2015 को अपनी गिरफ्तारी से पहले कई दिन तक मुंबई क्राइम ब्रांच के सवालों का सामना करने के बाद चिंतन ने 14 दिन तक कांदिवली पुलिस की हिरासत भी काट ली, लेकिन पुलिस उससे कुछ भी खास उगलवा नहीं पाई। अब तो पुलिस को नार्को टेस्ट का सहारा है लेकिन उसकी भी इजाजत अभी तक नहीं मिल पाई है। चिंतन के वकील अमरेंद्र मिश्रा के मुताबिक 'हमने नार्को टेस्ट कराए जाने का पहले ही विरोध किया है और जल्द ही हम अपना जवाब भी अदालत में पेश करेंगे।'
पुलिस के पास पर्याप्त सबूत नहीं
आरोपी चिंतन पर शक की सबसे बड़ी वजह उसकी पत्नी हेमा से पुरानी अनबन और तलाक को लेकर अदालती लड़ाई है। हत्या के पहले अदालत में जमा किए गए अपने हलफनामे में हेमा ने चिंतन पर पिटाई और दुर्व्यहार का आरोप भी लगाया था। लेकिन चिंतन को दोषी साबित करने के लिए सिर्फ इतना काफी नहीं है। अदालत में परिस्थितिजन्य सबूतों के साथ सुपारी के रुपयों का लेन-देन, टेक्निकल सबूत और गवाहों की भी दरकार होगी।
विद्याधर राजभर पहुंच से बाहर
पुलिस की मानें तो चिंतन ने ही विघाधर राजभर के साथ मिलकर दोनों की हत्या की साजिश रची और जरूरी इंतजाम भी किए। लेकिन उसकी मुसीबत है कि अब तक विघाधर उसके हत्थे नहीं चढ़ा है।
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