नई दिल्ली:
फेसबुक इंडिया ने दिल्ली की एक अदालत को वेबसाइट से आपत्तिजनक सामग्री हटाने संबंधी उसके आदेश के अनुपालन से संबंधित रपट दी। अदालत ने फेसबुक तथा 21 अन्य वेबसाइट को आपत्तिजनक सामग्री हटाने के निर्देश दिए थे। गूगल इंडिया ने भी अदालत से कहा कि उसने नेट पर अपनी ‘साइटों’ पर से उन पृष्ठों को हटा दिया है जिसको लेकर याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति जतायी थी।
इस बीच, फेसबुक, याहू तथा माइक्रोसॉफ्ट ने अदालत से कहा कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है और इस सिलसिले में उनके खिलाफ कार्रवाई करने का कोई औचित्य नहीं है। अतिरिक्त न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने याचिकाकर्ता मुफ्ती एजाज अरशद काजमी की तरफ से मामले में पेश वकील से यह पूछा कि क्या ब्लॉग पर किसी व्यक्ति द्वारा कोई सामग्री या सूचना पोस्ट किये जाने से सेवा प्रदाता कंपनियों को पक्ष बनाया जा सकता है।
अदालत ने गूगल से यह भी पूछा कि वह ‘उपयुक्त’ तरीके से जवाब के साथ क्यों नहीं आयी। अदालत ने कंपनी की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसे फैसले तथा मामले से जुड़े अन्य दस्तावेज की प्रति शुक्रवार को मिली थी। अदालत ने कहा, ‘‘आप यह मत कहिये कि आपको दस्तावेज की प्रति शुक्रवार को मिली। इस मामले में पिछले कुछ महीने से होहल्ला हो रहा है, ऐसे में आपको इसके लिए तैयार रहना चाहिए था।
अदालत ने याचिकाकर्ता से उन सभी दस्तावेज की प्रति प्रतिवादियों को उपलब्ध कराने को कहा जिसके आधार पर उन्होंने अर्जी दायर की है। इससे पहले, अदालत ने 20 दिसंबर को आदेश जारी कर 22 सामाजिक नेटवर्किंग वेबसाइट को समन भेजा और फोटोग्राफ्स, वीडियो या अन्य रूप में मौजूदा ‘धर्म एवं समाज विरोधी’ सामग्रियों को हटाने का निर्देश दिया था।
अदालत ने 24 दिसंबर को वेबसाइटों के लिए आदेश का अनुपालन करने को लेकर छह फरवरी की समय सीमा निर्धारित की थी। जिन वेबासाइटों को आपत्तिजनक सामग्री हटाने का निर्देश दिया गया था, उनमें फेसबुक इंडिया, फेसबुक, गूगल इंडिया प्राइवेट लि., गूगल आकरुट, यू-ट्यूब, ब्लॉगस्पाट, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया प्राइवेट लि., माइक्रोसॉफ्ट इंडिया, माइक्रोसॉफ्ट जोम्बी टाइम, एक्सबोई, बोर्डरीडर, आईएमसी इंडिया, माई लॉट, शाइनी ब्लॉग तथा टोपिक्स शामिल हैं।
इस बीच, फेसबुक, याहू तथा माइक्रोसॉफ्ट ने अदालत से कहा कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है और इस सिलसिले में उनके खिलाफ कार्रवाई करने का कोई औचित्य नहीं है। अतिरिक्त न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने याचिकाकर्ता मुफ्ती एजाज अरशद काजमी की तरफ से मामले में पेश वकील से यह पूछा कि क्या ब्लॉग पर किसी व्यक्ति द्वारा कोई सामग्री या सूचना पोस्ट किये जाने से सेवा प्रदाता कंपनियों को पक्ष बनाया जा सकता है।
अदालत ने गूगल से यह भी पूछा कि वह ‘उपयुक्त’ तरीके से जवाब के साथ क्यों नहीं आयी। अदालत ने कंपनी की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसे फैसले तथा मामले से जुड़े अन्य दस्तावेज की प्रति शुक्रवार को मिली थी। अदालत ने कहा, ‘‘आप यह मत कहिये कि आपको दस्तावेज की प्रति शुक्रवार को मिली। इस मामले में पिछले कुछ महीने से होहल्ला हो रहा है, ऐसे में आपको इसके लिए तैयार रहना चाहिए था।
अदालत ने याचिकाकर्ता से उन सभी दस्तावेज की प्रति प्रतिवादियों को उपलब्ध कराने को कहा जिसके आधार पर उन्होंने अर्जी दायर की है। इससे पहले, अदालत ने 20 दिसंबर को आदेश जारी कर 22 सामाजिक नेटवर्किंग वेबसाइट को समन भेजा और फोटोग्राफ्स, वीडियो या अन्य रूप में मौजूदा ‘धर्म एवं समाज विरोधी’ सामग्रियों को हटाने का निर्देश दिया था।
अदालत ने 24 दिसंबर को वेबसाइटों के लिए आदेश का अनुपालन करने को लेकर छह फरवरी की समय सीमा निर्धारित की थी। जिन वेबासाइटों को आपत्तिजनक सामग्री हटाने का निर्देश दिया गया था, उनमें फेसबुक इंडिया, फेसबुक, गूगल इंडिया प्राइवेट लि., गूगल आकरुट, यू-ट्यूब, ब्लॉगस्पाट, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया प्राइवेट लि., माइक्रोसॉफ्ट इंडिया, माइक्रोसॉफ्ट जोम्बी टाइम, एक्सबोई, बोर्डरीडर, आईएमसी इंडिया, माई लॉट, शाइनी ब्लॉग तथा टोपिक्स शामिल हैं।
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