एमनेस्टी इंटरनेशनल की गुरुवार को आई रिपोर्ट में कहा गया है कि फेसबुक (Facebook) को ऑनलाइन हेट स्पीच (Online Hate Speech) के बाद म्यांमार (Myanmar) से भगाए गए हजारों रोहिंग्या (Rohingya) शरणार्थियों को हुए नुकसान की भरपाई करनी चाहिए. रोहिंग्या, मुख्यतौर से एक मुस्लिम समुदाय है. इसे म्यांमार के सैन्य शासकों ने 2017 में निशाना बनाया था और पड़ोसी देश बांग्लादेश भगा दिया था. यहां तभी से हजारों रोहिंग्या शरणार्थी शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं.
पीड़ितों के संगठन और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह हिंसा फेसबुक के अल्गोरिदम के कारण बढ़ी. साथ ही कहा गया कि फेसबुक पर चरमपंथी सामग्री को उपर दिखाया गया और इससे खतरनाक ग़लत सूचना और नफरती भाषण को बढ़ावा मिला.
फेसबुक के खिलाफ रोहिंग्या प्रतिनिधियों ने अमेरिका और ब्रिटेन और विकसित देशों के समूह OECD में तीन मुकदमे दर्ज कराए हैं. यह मुकदमें व्यापार के लिए जिम्मेदार व्यवहार के आधार पर दर्ज किए गए हैं. फेसबुक और उसकी पेरेंट कंपनी मेटा के खिलाफ अमेरिका के कैलिफोर्निया में पिछले दिसंबर में दर्ज की गई शिकायत में शर्णार्थियों ने नुकसान के लिए $150 बिलियन डॉलर की भरपाई की मांग की है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "कई रोहिंग्याओं ने फेसबुक पर रिपोर्ट फंक्शन के माध्यम से रोहिंग्या विरोधी सामग्री को रिपोर्ट करना चाहा लेकिन उनके लिए यह विकल्प उपलब्ध नहीं था. इससे म्यांमार में नफरती कथानक को बढ़ावा मिला और यह अभूतपूर्व तरीके से अधिक लोगों तक पहुंचा."
अक्टूबर 2021 में "फेसबुक पेपर्स" नाम के व्हिसल ब्लोअर ने यह जानकारी साझा की थी. इसमें संकेत दिया गया था कि कंपनी एक्ज़ीक्यूटिव्स जानते थे कि उनकी साइट ने जातीय अल्पसंख्यकों और अन्य समूहों के खिलाफ नफ़रती सामग्री को बढ़ावा दिया.
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