हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सियासी गहमा गहमी शुरू हो चुकी है. राज्य में कुल 90 सीटें हैं, जिनमें 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. इन्हीं सीटों में एक विधानसभा सीट है झज्जर. झज्जर विधानसभा सीट 1977 से आरक्षित सीट है. इस सीट को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है. साल 2014 में बीजेपी का बोलबाला पूरे देश में नजर आ रहा था, उस दौर में भी कांग्रेस अपनी इस सीट को बचाने में कामयाब रही थी. साल 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के गीता भुक्कल ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. उन्हें 51697 वोट मिले थे. दूसरे पायदान पर साधुराम थे, जो पहले इनेलो में थे लेकिन अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.
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झज्जर जिले में कुल 264 गांव, 5 तहसील, 1 उपतहसील और 250 पंचायते हैं. वहीं बात करें जनसंख्या की तो, 2011 की जनगणना के अनुसार 1834 वर्ग किलोमीटर में फैले झज्जर जिले की जनसंख्या 958405 है. जिसमें पुरुषों की संख्या 514667 और महिलाओं की संख्या 443738 है. जिले में लिंग अनुपात 862 है. जिले की कुल आबादी के 17 फीसदी लोग अनुसूचित जाति से संबंधित हैं. झज्जर की साक्षरता दर 80.6 फीसदी है.
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झज्जर में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है. हालांकि इससे पहले बीजेपी का इस क्षेत्र में कोई खास दबदबा नहीं था लेकिन साधुराम के बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं. कांग्रेस में आपसी फूट के बाद बीजेपी ने झज्जर में सेंधमारी की पूरी तैयारी कर ली है. अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी अपनी कोशिश में कामयाब होती है या फिर हुड्डा एक बार झज्जर में अपना दमखम दिखाने में कामयाब होंगे.
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