जिग्नेश मेवानी की फाइल फोटो.
नई दिल्ली:
गुजरात के वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है. कहा है कि अनुसूचित जातियों के लोग मोदी सरकार के निशाने पर शुरू से रहे हैं और यही कारण है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में दलितों पर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं.
यहां आयोजित 'यूथ की आवाज' कार्यक्रम से इतर जिग्नेश ने आईएएनएस के साथ बातचीत में मौजूदा केंद्र सरकार को परिभाषित करते हुए कहा, "यह सरकार सांप्रदायिक, जातिवादी, फांसीवादी, पूंजीवादी और नकारा है."
गुजरात के दलित विधायक जिग्नेश मेवानी को मिली जान से मारने की धमकी
देश में अनुसूचित जातियों पर अत्याचार बढ़ने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, " बीते चार वर्षो में जितने अत्याचार हुए हैं, उतने पहले कभी देखने को नहीं मिले. मोदी राज में अनुसूचित जातियों पर अत्याचार बढ़ा है. ऊना के अनुसूचित जाति पीड़ितों को न्याय नहीं मिला, रोहित वेमुला को न्याय नहीं मिला. सहारनपुर के पीड़ितों को न्याय नहीं मिला. इन्होंने चंद्रशेखर आजाद रावण को जेल में डाल दिया."
मेवाणी ने कहा, "ये मनुस्मृति को जलाने के बजाय संविधान को जला रहे हैं. एट्रोसिटी के कानून को बिगाड़ रहे हैं. संविधान से छेड़छाड़ कर रहे हैं.अंबेडकर की प्रतिमाएं तोड़ी जा रही हैं..दलित तो नाराज होंगे ही."
आप पर अनुसूचित जाति कार्ड खेलने का आरोप लग रहा है, यह बात छेड़ने पर जिग्नेश कहते हैं, "हां, रामविलास पासवान जैसे लोग आरोप लगाते हैं कि देश में जाति कार्ड विशेष रूप से अनुसूचित जाति का कार्ड खेला जा रहा है, लेकिन मैं साफ कर दूं कि कोई अनुसूचित जाति का कार्ड नहीं खेल रहा है, जो लोग पीड़ित हैं, वे आवाज उठा रहे हैं. यह उनकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया है. मगर सरकार ने विरोध की हर आवाज को दबाने की सोच रखी है और दबाने की कोशिश भी कर रही है."
इन दिनों नया शब्द 'शहरी नक्सली' सुर्खियों में है, इसका जिक्र करने पर जिग्नेश कहते हैं, "यह टर्म शहरी पागलों ने ही ईजाद की है. यह दलित आंदोलन को पटरी से हटाने की साजिश है. इंसानों के हक के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं को डराने और मोदी जी के लिए सहानुभूति हासिल करने की कोशिश है."
बड़ी संख्या में युवाओं को राजनीति से जोड़ने का आह्वान करते हुए जिग्नेश ने कहा कि वह खुद को युवा नेता कहलवाना पसंद करते हैं और उनका मानना है कि युवा बेहतर तरीके से राजनीति से जुड़ें, तो देश और राजनीति की दिशा बदल सकती है."
राहुल गांधी 48 साल की उम्र में युवा नेता कहलाते हैं, आपकी नजर में युवा होने का पैमाना क्या है? इस सवाल का सीधा जवाब न देते हुए उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि किसी नेता को उसके काम के लिए तरजीह दी जानी चाहिए, लेकिन उम्र का फैक्टर भी मायने रखता है. युवाओं में जोश होता है, बेहतर काम करने की लगन होती है, वे मेहनती होते हैं. इसलिए उम्र को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता."
मेवाणी कहते हैं, "यूथ की आवाज पूरी दुनिया में गूंजनी जरूरी है. युवा वर्ग को अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए."
वीडियो-प्राइम टाइम : दिल्ली में जिग्नेश मेवानी की हुंकार रैली
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यहां आयोजित 'यूथ की आवाज' कार्यक्रम से इतर जिग्नेश ने आईएएनएस के साथ बातचीत में मौजूदा केंद्र सरकार को परिभाषित करते हुए कहा, "यह सरकार सांप्रदायिक, जातिवादी, फांसीवादी, पूंजीवादी और नकारा है."
गुजरात के दलित विधायक जिग्नेश मेवानी को मिली जान से मारने की धमकी
देश में अनुसूचित जातियों पर अत्याचार बढ़ने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, " बीते चार वर्षो में जितने अत्याचार हुए हैं, उतने पहले कभी देखने को नहीं मिले. मोदी राज में अनुसूचित जातियों पर अत्याचार बढ़ा है. ऊना के अनुसूचित जाति पीड़ितों को न्याय नहीं मिला, रोहित वेमुला को न्याय नहीं मिला. सहारनपुर के पीड़ितों को न्याय नहीं मिला. इन्होंने चंद्रशेखर आजाद रावण को जेल में डाल दिया."
मेवाणी ने कहा, "ये मनुस्मृति को जलाने के बजाय संविधान को जला रहे हैं. एट्रोसिटी के कानून को बिगाड़ रहे हैं. संविधान से छेड़छाड़ कर रहे हैं.अंबेडकर की प्रतिमाएं तोड़ी जा रही हैं..दलित तो नाराज होंगे ही."
आप पर अनुसूचित जाति कार्ड खेलने का आरोप लग रहा है, यह बात छेड़ने पर जिग्नेश कहते हैं, "हां, रामविलास पासवान जैसे लोग आरोप लगाते हैं कि देश में जाति कार्ड विशेष रूप से अनुसूचित जाति का कार्ड खेला जा रहा है, लेकिन मैं साफ कर दूं कि कोई अनुसूचित जाति का कार्ड नहीं खेल रहा है, जो लोग पीड़ित हैं, वे आवाज उठा रहे हैं. यह उनकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया है. मगर सरकार ने विरोध की हर आवाज को दबाने की सोच रखी है और दबाने की कोशिश भी कर रही है."
इन दिनों नया शब्द 'शहरी नक्सली' सुर्खियों में है, इसका जिक्र करने पर जिग्नेश कहते हैं, "यह टर्म शहरी पागलों ने ही ईजाद की है. यह दलित आंदोलन को पटरी से हटाने की साजिश है. इंसानों के हक के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं को डराने और मोदी जी के लिए सहानुभूति हासिल करने की कोशिश है."
बड़ी संख्या में युवाओं को राजनीति से जोड़ने का आह्वान करते हुए जिग्नेश ने कहा कि वह खुद को युवा नेता कहलवाना पसंद करते हैं और उनका मानना है कि युवा बेहतर तरीके से राजनीति से जुड़ें, तो देश और राजनीति की दिशा बदल सकती है."
राहुल गांधी 48 साल की उम्र में युवा नेता कहलाते हैं, आपकी नजर में युवा होने का पैमाना क्या है? इस सवाल का सीधा जवाब न देते हुए उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि किसी नेता को उसके काम के लिए तरजीह दी जानी चाहिए, लेकिन उम्र का फैक्टर भी मायने रखता है. युवाओं में जोश होता है, बेहतर काम करने की लगन होती है, वे मेहनती होते हैं. इसलिए उम्र को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता."
मेवाणी कहते हैं, "यूथ की आवाज पूरी दुनिया में गूंजनी जरूरी है. युवा वर्ग को अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए."
वीडियो-प्राइम टाइम : दिल्ली में जिग्नेश मेवानी की हुंकार रैली
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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