यह ख़बर 19 जनवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

दिल्ली ‘दरबार’ के आगे कभी ‘मुजरा’ नहीं करेगा गुजरात : मोदी

खास बातें

  • मोदी ने कहा, ‘इस दिल्ली सल्तनत को सावधानीपूर्वक यह बात सुनना चाहिए, गुजरात दिल्ली ‘दरबार’ के आगे कभी ‘मुजरा’ नहीं करेगा। वे दिन (केंद्र के कोष पर निर्भर रहने के) नहीं रहे। हम कोई दिवालिया राज्य नहीं हैं।’
वलसाड:

लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे पर गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा खिंचाई किए जाने के बावजूद मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी परेशान नहीं दिख रहे। उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि संप्रग सरकार प्रदेश के सार्वजनिक जीवन को ‘नष्ट’ करने के लिए राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद का दुरूपयोग कर रही है। मोदी ने यह भी कहा कि गुजरात ‘दिल्ली सल्तनत’ के आगे नहीं झुकेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इस दिल्ली सल्तनत को सावधानीपूर्वक यह बात सुनना चाहिए, गुजरात दिल्ली ‘दरबार’ के आगे कभी ‘मुजरा’ नहीं करेगा। वे दिन (केंद्र के कोष पर निर्भर रहने के) नहीं रहे। हम कोई दिवालिया राज्य नहीं हैं।’ उन्होंने दक्षिण गुजरात के इस शहर में दिन भर के ‘सदभावना मिशन’ उपवास के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमारे खिलाफ सभी संवैधानिक संस्थाओं, संवैधानिक पदों का इस्तेमाल कर लीजिए और ध्यान रखें कि उनके इस्तेमाल में देर नहीं हो।’

मोदी ने कहा, ‘समस्या यह है कि गुजरात के लोगों ने पिछले कई साल से कांग्रेस को कुछ भी नहीं दिया है और यही वजह है कि वे :कांग्रेस नेता: मुझे निशाना बना रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘गुजरात के लोगों से मेरा कहना है कि वे कांग्रेस को कुछ नहीं देना जारी रखें। हमारे साथ गुजरात के छह करोड़ लोगों की दुआएं हैं, कोई भी हमें पराजित नहीं कर सकता।’ मोदी ने आरोप लगाया कि केंद्र गुजरात के सार्वजनिक जीवन को नष्ट करने के लिए राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद का दुरूपयोग कर रहा है।

गौरतलब है कि कल न्यायमूर्ति वीएम सहाय ने लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे पर राज्य की अर्जी को खारिज करते हुए 2..1 से फैसला सुनाकर उन्हें एक तगड़ा झटका दिया था। न्यायमूर्ति सहाय ने मोदी की तीखी आलोचना की थी और कहा कि लोकायुक्त मुद्दे पर मुख्यमंत्री का कदम हमारे ‘लोकतंत्र के विनाश’ को दर्शाता है।

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न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) आरए मेहता की नियुक्ति को मोदी द्वारा स्वीकार नहीं किए जाने को ईष्यालु और चुनौतीपूर्ण बताते हुए कहा कि यह कदम उनकी ओर से हासिल की गई एक गलत अपराजेयता की भावना को दर्शाता है। गौरतलब है कि उनकी नियुक्ति के लिए गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने सलाह दिया था।