गुजरात में चुनाव सिर पर आ चुके हैं, लेकिन कांग्रेस अभी भी अंदरुनी कलह से जूझ रही है (फाइल फोटो)
अहमदाबाद:
गुजरात में नए बने प्रभारी अशोक गहलोत और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने गुजरात आकर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की, तब भी मामला तो पुराना ही रहा. शंकरसिंह वाघेला को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करने की मांग से जुड़ी बात सार्वजनिक करने की वजह से गुरुदास कामत गए थे उसी मुद्दे पर फिर घोषित किया गया कि गुजरात में कोई मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं होगा.
गातार कोशिशों के बावजूद महत्वपूर्ण है कि लगातार राज्य में शंकरसिंह वाघेला को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने को लेकर अभियान चल ही रहे हैं. गुजरात कांग्रेस में सबसे बडे़ नेता अहेमत पटेल को भी सामने आकर खुलासा करना पड़ा कि तैयारियों में अलग-अलग मत आ रहे हैं जिसे लडाई नहीं माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि शादी हो तो शंकरसिंह जी कहते हैं अगर यहां फूलदानी होनी चाहिए, भरत भाई कहते हैं नहीं यहां होनी चाहिए. ये कोइ मतभेद नहीं है, मुख्यमंत्री की लड़ाई नहीं है. ये चर्चा है किस तरह चुनाव जीता जाए.
शंकरसिंह वाघेला ने खुद भी दोबारा कहा कि वे मुख्यमंत्री पद की रेस में नहीं हैं और चुनाव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी की अध्यक्षता में ही लड़ा जायेगा. लेकिन इस बीच गुजरात के अलग-अलग शहरों में कुछ पोस्टर्स लगे हैं जिनमें लिखा है- चाहे कांग्रेस जीते या भाजपा मुख्यमंत्री वाघेला ही होंगे. गहलोत भी इन्हीं सवालों से जूझते दिखे.
उन्होंने कहा कि शंकरसिंह वाघेला के बारे में बार-बार कहते हैं ये बीजेपी में जा रहे हैं तो ये खुद यहां बैठे हुए हैं आप पूछ सकते हैं. पर जो अफवाहें चलती हैं उस पर कोई ध्यान न दे पार्टी पूरे गुजरात में एकजुट है. गुजरात में इसी साल चुनाव हैं, लेकिन कांग्रेस चुनावी तैयारीयों से ज्यादा नेताओं के झगड़ों से ही निपटने का रास्ता तलाश रही है.
गातार कोशिशों के बावजूद महत्वपूर्ण है कि लगातार राज्य में शंकरसिंह वाघेला को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने को लेकर अभियान चल ही रहे हैं. गुजरात कांग्रेस में सबसे बडे़ नेता अहेमत पटेल को भी सामने आकर खुलासा करना पड़ा कि तैयारियों में अलग-अलग मत आ रहे हैं जिसे लडाई नहीं माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि शादी हो तो शंकरसिंह जी कहते हैं अगर यहां फूलदानी होनी चाहिए, भरत भाई कहते हैं नहीं यहां होनी चाहिए. ये कोइ मतभेद नहीं है, मुख्यमंत्री की लड़ाई नहीं है. ये चर्चा है किस तरह चुनाव जीता जाए.
शंकरसिंह वाघेला ने खुद भी दोबारा कहा कि वे मुख्यमंत्री पद की रेस में नहीं हैं और चुनाव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी की अध्यक्षता में ही लड़ा जायेगा. लेकिन इस बीच गुजरात के अलग-अलग शहरों में कुछ पोस्टर्स लगे हैं जिनमें लिखा है- चाहे कांग्रेस जीते या भाजपा मुख्यमंत्री वाघेला ही होंगे. गहलोत भी इन्हीं सवालों से जूझते दिखे.
उन्होंने कहा कि शंकरसिंह वाघेला के बारे में बार-बार कहते हैं ये बीजेपी में जा रहे हैं तो ये खुद यहां बैठे हुए हैं आप पूछ सकते हैं. पर जो अफवाहें चलती हैं उस पर कोई ध्यान न दे पार्टी पूरे गुजरात में एकजुट है. गुजरात में इसी साल चुनाव हैं, लेकिन कांग्रेस चुनावी तैयारीयों से ज्यादा नेताओं के झगड़ों से ही निपटने का रास्ता तलाश रही है.
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