खुफिया ब्यूरो (आईबी) की एक रपट में आगाह किया गया है कि ग्रीनपीस सहित विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा अनेक विकास परियोजनाओं का विरोध किए जाने का देश की आर्थिक वृद्धि दर पर नकारात्मक असर होगा। आर्थिक वृद्धि पर यह नकारात्मक असर दो से तीन प्रतिशत हो सकता है। आईबी ने अपनी रिपोर्ट 'विकास पर एनजीओ के असर' में यह निष्कर्ष निकाला है।
आईबी की इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एनजीओ और उनके अंतरराष्ट्रीय दानदाता अब कई नई आर्थिक विकास योजनाओं को निशाना बनाने की योजना बना रहे हैं, जिनमें गुजरात की योजनाएं भी शामिल हैं।
इस रिपोर्ट की प्रति प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, वित्त मंत्री तथा अन्य को भेजी गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि ये एनजीओ परमाणु ऊर्जा संयंत्रों, यूरेनियम खानों, कोयले से चलने वाले बिजलीघरों तथा पनबिजली परियोजनाओं के खिलाफ प्रदर्शन के साथ साथ विकास योजनाओं को रोकने के लिए काम करते हैं।
वहीं ग्रीनपीस ने इस आरोप को यह कहते हुए खारिज किया है, 'हमारा मानना है कि आईबी की यह रिपोर्ट उस समाज को चुप कराने के लिए तैयार की गई है जो कि विकास के मौजूदा मॉडल के बारे में कठिन सवाल पूछकर लोगों से अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता है।'
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