केंद्रीय सतर्कता आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और लोकपाल जैसे विभिन्न वैधानिक निकायों में नियुक्तियों के लिए सरकार ने लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) के बिना ही आगे बढ़ने का फैसला किया है। इन वैधानिक निकायों में नियुक्तियों के लिए चयन समिति का एक सदस्य विपक्ष का नेता भी होता है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लोकसभा सचिवालय से इस बारे में हाल ही में एक संदर्भ (रेफरेन्स) मिलने के बाद यह फैसला किया गया है। उन्होंने बताया कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने लोकसभा को एक पत्र लिखकर विपक्ष के नेता के पद पर सूचना मांगी थी। सचिवालय ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को सूचना दी है कि लोकसभा में कोई मान्यताप्राप्त विपक्ष का नेता नहीं है। सूत्रों ने कहा कि सरकार विभिन्न वैधानिक निकायों में नियुक्तियों के लिए एलओपी के बिना ही आगे बढ़ेगी।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन एलओपी का पद दिए जाने की कांग्रेस की मांग ठुकरा चुकी हैं। कुल 543-सदस्यीय लोकसभा में बीजेपी की 282 सीटों के बाद कांग्रेस 44 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है। लेकिन एलओपी के पद के लिए दावा करने के लिए 55 की संख्या जरूरी है और कांग्रेस के पास इसके लिए 11 सांसदों की कमी है।
उन्होंने बताया कि चयन समिति में एलओपी का होना अनिवार्य नहीं है। यह समिति केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, सतर्कता आयुक्त, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और लोकपाल के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के लिए लोगों के नामों की सिफारिश करती है।
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