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This Article is From Sep 03, 2013

कोयला घोटाला : पीएम ने कहा, गायब फाइलें तलाशी जा रही हैं

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को संसद में कहा कि कोयला घोटाले के संबंध में उनकी सरकार के पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है और सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) जांच से जुड़ी तथाकथित गायब फाइलें तलाशी जा रही हैं। लेकिन, उनका यह बयान विपक्ष को संतुष्ट नहीं कर पाया। राज्यसभा में उग्र विरोध के बीच कार्यवाई स्थगित कर दी गई।

जी-20 सम्मेलन के लिए रूस प्रस्थान करने से एक दिन पूर्व मनमोहन सिंह ने कहा कि यह निष्कर्ष निकालना गलत होगा कि कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितता के संदर्भ में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा मांगे गए सरकारी कागजात वाकई में गुम हो गए हैं। उन्होंने कहा, "मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि सरकार सीबीआई द्वारा मांगे गए दस्तावेजों को ढूढ़ने का पूरा प्रयास कर कर रही है। इस समय यह कहना जल्दबाजी होगी कि कुछ दस्तावेज वाकई में गुम हो गए हैं।" उन्होंने कहा, "सीबीआई द्वारा मांगे गए दस्तावेजों का बड़ा हिस्सा सौंपा जा चुका है। हालांकि, कुछ सांसदों ने वास्तविक स्थिति को नजरअंदाज करते हुए अपना ही निष्कर्ष निकाला है कि कहीं कुछ गड़बड़ है और सरकार कुछ छुपा रही है।"

मनमोहन सिंह ने कहा, "मैं इस सदन को भरोसा दिलाता हूं कि सरकार के पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है।" उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर न पहुंच जाए और "सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलने दी जाए।"

उल्लेखनीय है कि 2006-09 में सरकारी और निजी कंपनियों को 204 कोयला ब्लाक आवंटित किए गए थे। बाद में इनमें से 40 के लाइसेंस रद्द कर दिए गए थे।

केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने 23 अगस्त को संसद में कहा था कि आवंटन से जुड़े 189 दस्तावेज गुम हो गए हैं।

मनमोहन सिंह ने कहा कि सच्चाई यह है कि 1,50,000 पृष्ठ के दस्तावेज सीबीआई को पहले ही सौंपे जा चुके हैं। इससे यह स्पष्ट है कि सीबीआई जांच में सहयोग देने की सरकार की मंशा पर शक नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) और सीबीआई को पूरा सहयोग दिया है। मनमोहन ने कहा, "हम ऐसा करना जारी रखेंगे।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "अगर मांगे गए दस्तावेज वाकई में गायब पाए गए तो सरकार इसकी पूरी जांच कराएगी और दोषियों के खिलाफ मामला चलाएगी।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "सरकार सर्वोच्च न्यायालय के सभी निर्देशों का अक्षरश: पालन करेगी और दस्तवेजों का पता लगाने की पूरी कोशिश करेगी और अपेक्षित दस्तावेज निर्धारित समय के अंदर सीबीआई को सौंप दिए जाएंगे।" लेकिन प्रधानमंत्री के बयान से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य पार्टियों के नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनकी चिंता का समाधान नहीं किया है।

मनमोहन के राज्यसभा से निकलते ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। राज्यसभा के उपसभापति पी.जे. कुरियन ने शोरशराबे के बीच अपराह्न् दो बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से यह जानना चाहा कि आखिर फाइलों के गायब होने की नैतिक जिम्मेदारी कौन लेगा।

जेटली ने कहा, "सदन को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में कुशासन के सभी संभावित तत्व मौजूद हैं, क्योंकि इसमें धोखाधड़ी, न्यायालय की अवमानना, विशेषाधिकार हनन, हित संघर्ष और सबूतों को नष्ट करने जैसी बातें शामिल हैं।" उन्होंने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि गुम हुई फाइलें सामने नहीं लाई जाएंगी, क्योंकि  कोयला ब्लाक आवंटन में कथित अनियमितता के मामले में कई महत्वपूर्ण नाम शामिल हैं।

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार गुम हुई फाइलों के संदर्भ में औपचारिक शिकायत दर्ज कराने से पीछे हट रही है।

बहुजन समाज पार्टी (सपा) की अध्यक्ष मायावती ने कहा, "फाइलों के गुम होने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई है।"

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