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This Article is From Dec 08, 2020

किसान संगठनों से छठे दौर की बातचीत से पहले मोदी सरकार के रुख में बदलाव नहीं

मोदी सरकार के मंत्रियों ने नए कृषि कानूनों के फायदे गिनाए, अब सरकार और बीजेपी के निशाने पर पूर्व कृषि मंत्री रहे शरद पवार

किसान संगठनों से छठे दौर की बातचीत से पहले मोदी सरकार के रुख में बदलाव नहीं
दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन जारी है.
नई दिल्ली:

बुधवार को होने वाली केंद्र सरकार और किसान सगठनों के बीच छठे दौर की बातचीत से पहले केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) के रुख में बदलाव दिख रहा है. एक तरफ जहां मंगलवार को भारत बंद के दौरान मोदी सरकार के बड़े मंत्रियों और बीजेपी ने नए कृषि सुधार से जुड़े कानूनों (Farm laws) के फायदे गिनाए वहीं अब सरकार और पार्टी के निशाने पर पूर्व UPA सरकार में कृषि मंत्री रहे शरद पवार (Sharad Pawar) हैं जिन्होंने मंत्री रहते हुए मंडी कानून में बड़े सुधार की वकालत की थी.

मंगलवार को एक तरफ भारत बंद चलता रहा, किसान संगठन प्रदर्शन करते रहे वहीं किसानों के साथ चार दौर की बातचीत कर चुके कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और खाद्य मंत्री पियूष गोयल ट्विटर पर ट्वीट कर तीनों नए कृषि सुधार से जुड़े कानूनों से किसानों को होने वाले फायदे की वकालत करते रहे.

दरअसल पांचवे दौर की बातचीत के बाद एक तरफ जहां विपक्षी दलों ने खुलकर किसान संगठनों के भारत बंद का समर्थन किया है, वहीं सरकार ने राजनीतिक रणनीति बदली है, और खुलकर सक्रियता से नए कानूनों की वकालत करने लग गई है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, किसानों के नाम पर सियासत नहीं होनी चाहिए. जो राजनीतिक दल किसानों के नाम पर राजनीति कर रहे हैं उन्हें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए.

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सरकार  के निशाने पर सीधे पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार हैं जिन्होंने 2010 और 2011  में कृषि मंत्री रहते हुए राज्यों के मुख्यमंत्रियों की चिठ्ठी लिखकर APMC कानूनों में सुधार की वकालत की थी. कृषि मंत्री ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से मुलाकात के बाद सीधे शरद पवार पर निशाना साधा. वहीं शरद पवार विपक्षी दलों के नेताओं के साथ अब बुधवार को राष्ट्रपति से मिलकर अपना विरोध जताने वाले हैं. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "शरद पवार कृषि मंत्री रहते हुए कृषि सुधार पर राज्यों को पत्र लिख चुके हैं. बाकी राजनीतिक दल चाहे कुछ भी करें, शरद पवार जी को अब यह शोभा नहीं देता.''

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अब सबकी निगाहें बुधवार को होने वाली छठे दौर की बातचीत पर टिकी हैं. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "मैं किसानों के साथ अच्छे माहौल में बात कर रहा हूं. मैं आशावान हूं कि बातचीत से समस्या का अच्छा समाधान निकलेगा."

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत ने कहा, "अभी तक सरकार से लिखित में कोई प्रस्ताव नहीं मिला है न ही आश्वासन मिला है."

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