NBFC क्षेत्र के लिए सरकार का बड़ा कदम, 30,000 करोड़ रुपये की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम होगी लॉन्च

गैर-बैंकिंग वित्तीय निगमों (NBFC), HFC तथा MFI को ऋण बाज़ारों में राशि जुटाना मुश्किल हो रहा है. इनकी मदद के लिए सरकार 30,000 करोड़ रुपये की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम लॉन्च करेगी. 

NBFC क्षेत्र के लिए सरकार का बड़ा कदम, 30,000 करोड़ रुपये की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम होगी लॉन्च

नई दिल्ली:

सरकार ने नकदी संकट से जूझ रही गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और आवास वित्त निगमों (HFC) को ध्यान में रखते हुए बड़ा कदम उठाया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय निगमों (NBFC), HFC तथा MFI को ऋण (Debt) बाज़ारों में राशि जुटाना मुश्किल हो रहा है. इनकी मदद के लिए सरकार 30,000 करोड़ रुपये की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम लॉन्च की जाएगी. भारत सरकार द्वारा प्रतिभूति की गारंटी दी जाएगी.  इस स्कीम से एनबीएफसी, एचएफसी, एमएफआई और म्युचुअल फंड को तरलता संबंधी समर्थन मिलेगा और बाजार में लोगों का भरोसा बढ़ेगा. इसके अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एनबीएफसी के लिए 45,000 करोड़ रुपये की आंशिक क्रेडिट गारंटी स्कीम की घोषणा की है.

एनबीएफसी के अलावा, वित्त मंत्री ने कर्मचारी भविष्य निधि के मोर्चे पर बड़ी राहत दी है. कोरोना संकट को देखते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत EPF में 12-12 प्रतिशत (नियोक्ता और कर्मचारी) योगदान की सुविधा को अगले तीन महीने जून जुलाई और अगस्त के लिए बढ़ाया गया है. पहले यह सुविधा मार्च-अप्रैल-मई महीने के लिए थी. सरकार की इस ऐलान का फायदा सिर्फ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा, जिनके पास 100 से कम कर्मचारी हैं और 90 फीसदी कर्मचारी की सैलरी 15,000 रुपये से कम है. इससे  2500 करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा. 72.22 लाख कर्मचारियों को इसका फायदा होगा.   

वित्त मंत्री ने कहा कि कंपनियों और कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा पैसे देने के मद्देनजर ईपीएफ में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के योगदान में कटौती की गई है.  ईपीएफ में योगदान 12-12 प्रतिशत से कम करके 10-10 प्रतिशत अगले 3 महीने के लिए किया गया है. हालांकि, सार्वजनिक उपक्रमों में नियोक्ता के अंशदान के रूप में 12 प्रतिशत का योगदान जारी रहेगा. 

 इसके अलावा, निवेश और कारोबार के आधार पर एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव किया गया है. एक करोड़ रुपये का निवेश, 5 करोड़ का कारोबार वाली इकाइयां माइक्रो इंडस्ट्री मानी जाएंगी. 10 करोड़ तक का निवेश और 50 करोड़ तक का टर्नओवर वाली इकाइयां लघु उद्योग में आएंगी. 20 करोड़ तक निवेश और 100 करोड़ तक टर्नओवर वाली इकाइयों को मध्यम उद्योग माना जायेगा.  

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