प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
अब सशस्त्र बल और भी अत्याधुनिक हथियारों से लैस होने जा रही है. सरकार ने मंगलवार को सशस्त्र बलों के लिए कुछ आवश्यक हथियार खरीदने की एक योजना को मंजूरी दे दी. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई रक्षा खरीद परिषद ने 15,935 करोड़ के रक्षा सौदों को अपनी मंजूरी प्रदान की है. इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के बेहतर निजी हथियार मुहैया कराने पर खासा ध्यान दिया गया है.
सरकार ने कहा कि इस लिस्ट में लाइट मशीन गन, असॉल्ट राइफल्स और स्नीपर राइफल्स आदि शामिल हैं. जिन हथियारों की खरीदारी होनी है, उसे "फास्ट ट्रैक प्रक्रिया" के माध्यम से हासिल की जाएगी.
इनमें से 1819 करोड़ की लागत से सेना के लिए लाइट मशीन गन्स की फास्ट ट्रैक आधार पर खरीद को मंजूरी दी गई है. इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की ज़रूरतें पूरी होंगी. इसके अलावा रक्षा खरीद परिषद ने सेना के तीनों अंगों के लिए 12,280 करोड़ की लागत से 7.4 लाख असाल्ट राइफल्स की खरीद को भी हरी झंडी दी गई है. साथ ही परिषद ने सेना और वायुसेना के लिए 982 करोड़ में 5719 स्नाइपर राइफल्स की खरीद की इजाज़त दी है. शुरुआत में इनका असलहा भी खरीदा जाएगा लेकिन बाद में इनका गोला-बारूद देश में ही बनाया जाएगा.
सशस्त्र बलों ने 11 साल पहले नई बंदूकों की आवश्यकता को लेकर अपनी मांग रखी थी. पिछले महीने, सरकार की खरीद पर सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने कम से कम कुछ हथियार खरीदने का फैसला लिया था.
पिछले एक महीने में सरहदी इलाकों में तैनात सैनिकों को प्रभावी हथियार मुहैया कराने के लिए रक्षा खरीद परिषद ने तीन पर्सनल वेपन्स यानी राइफल्स, कार्बाइन्स और लाइट मशीन गन्स की खरीद में ख़ासी मुस्तैदी दिखाई है.
नौसेना के जहाज़ों की एंटी-सबमरीन वारफेयर क्षमताएं बढ़ाने के लिए रक्षा खरीद परिषद ने एडवांस्ड टॉरपीडो डेकॉय सिस्टम के अधिग्रहण के मसविदे को भी हरी झंडी दे दी है. साथ ही डीआरडीओ के मारीच सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका हैं। मारीच सिस्टम को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड 850 करोड़ की लागत से नौसेना के लिए तैयार करेगा.
VIDEO: सीमा पर तनाव, पाक में चुनाव
सरकार ने कहा कि इस लिस्ट में लाइट मशीन गन, असॉल्ट राइफल्स और स्नीपर राइफल्स आदि शामिल हैं. जिन हथियारों की खरीदारी होनी है, उसे "फास्ट ट्रैक प्रक्रिया" के माध्यम से हासिल की जाएगी.
इनमें से 1819 करोड़ की लागत से सेना के लिए लाइट मशीन गन्स की फास्ट ट्रैक आधार पर खरीद को मंजूरी दी गई है. इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की ज़रूरतें पूरी होंगी. इसके अलावा रक्षा खरीद परिषद ने सेना के तीनों अंगों के लिए 12,280 करोड़ की लागत से 7.4 लाख असाल्ट राइफल्स की खरीद को भी हरी झंडी दी गई है. साथ ही परिषद ने सेना और वायुसेना के लिए 982 करोड़ में 5719 स्नाइपर राइफल्स की खरीद की इजाज़त दी है. शुरुआत में इनका असलहा भी खरीदा जाएगा लेकिन बाद में इनका गोला-बारूद देश में ही बनाया जाएगा.
सशस्त्र बलों ने 11 साल पहले नई बंदूकों की आवश्यकता को लेकर अपनी मांग रखी थी. पिछले महीने, सरकार की खरीद पर सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने कम से कम कुछ हथियार खरीदने का फैसला लिया था.
पिछले एक महीने में सरहदी इलाकों में तैनात सैनिकों को प्रभावी हथियार मुहैया कराने के लिए रक्षा खरीद परिषद ने तीन पर्सनल वेपन्स यानी राइफल्स, कार्बाइन्स और लाइट मशीन गन्स की खरीद में ख़ासी मुस्तैदी दिखाई है.
नौसेना के जहाज़ों की एंटी-सबमरीन वारफेयर क्षमताएं बढ़ाने के लिए रक्षा खरीद परिषद ने एडवांस्ड टॉरपीडो डेकॉय सिस्टम के अधिग्रहण के मसविदे को भी हरी झंडी दे दी है. साथ ही डीआरडीओ के मारीच सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका हैं। मारीच सिस्टम को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड 850 करोड़ की लागत से नौसेना के लिए तैयार करेगा.
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