भारतीय सेना को बोफोर्स के बाद से नई तोपों का इंतजार रहा है। 80 के दशक में बोफोर्स विवाद सामने आने के बाद से अब तक सेना को नई तोपें नहीं मिलीं क्योंकि सौदा या तो किसी विवाद में फंस गया या सरकारों ने कई विदेशी कंपनियों को रिश्वत की वजह से ब्लैकलिस्ट कर दिया। लेकिन, नई सरकार के नए रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने आखिरकार फैसला ले लिया है।
नए रक्षामंत्री पर्रिकर ने सेना के हाथ मजबूत करने के लिए 15 हजार 750 करोड़ रुपये की खरीद को मंजूरी दे दी है, जिससे भारतीय सेना को 814 आर्टिलरी तोपें मिलेंगी।
यह फैसला डिफेंस एक्वीजिशन काउंसिल की मीटिंग में हुआ। 80 के दशक में बोफोर्स के विवाद के बाद नई तोपों का सौदा कई वजहों से अटकता गया।
पिछली सरकारों ने कई विदेशी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया अब तक शायद छह बार तोपों के लिए टेंडर निकाले गए, लेकिन कंपनियों की ब्लैकलिस्टिंग और सिंगल वेंडर विंडो की वजह से सौदे नहीं हो पाए।
ये नई तोपें बाय एंड मेक के तहत ली जाएंगी। यानी कुल 814 तोपों में से 100 तोपें खरीदी जाएंगी और 714 भारत में बनाई जाएंगी।
आईटी, टाटा और भारत फोर्ज जैसी कंपनियां इसके लिए बोली लगाएंगी और जो भारतीय कंपनी चुनी जाएगी वो लीड पार्टनर बनेगी।
ये कंपनियां या तो इन तोपों को पूरी तरह से भारत में बनाएंगी या फिर किसी विदेशी कंपनी के साथ मिलकर भारत में ज्वाइंट मैनुफैक्चरिंग करेंगी।
इसके अलावा टाटा और एयरबस ने वायु सेना की एवरो ट्रांसपोर्ट फ्लीट को नया करने का प्रस्ताव दिया था जिस पर अभी फैसला नहीं लिया गया है।
भारतीय वायु सेना के लिए 106 स्विस पिलाटस ट्रेनर एयरक्राफ्ट खरीदने के 8200 करोड़ के प्रस्ताव पर भी फैसला लिया गया है।
इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के लिए सात हजार करोड़ अलाट किए गए हैं। भारत दुनिया में हथियारों का सबसे ज्यादा आयात करता है।
अक्तूबर में ही नई सरकार ने हार्डवेयर के आधुनिकीकरण के लिए 13 बिलियन डॉलर की मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री मोदी, चीन की बढ़ती ताकत और भारत की सैन्य क्षमता के बीच फासला कम करने की कोशिश कर रहे हैं।
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