सही तरीके से हाथ धोने से बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है- यूनिसेफ
नई दिल्ली:
भारत के ग्रामीण इलाकों में हर साल सक्रांमक बीमारियों के चलते बड़ी मात्रा में बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़े तक जान से हाथ धो बैठते हैं. अध्ययन बताते हैं कि एक तो हाथ न धोने की आदत और सही तरीके से हाथ ने धोने के कारण संक्रामक बीमारियों का हमला अधिक होता है.
'ग्लोबल हैंडवाशिंग डे' के अवसर पर जारी एक नये अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि ग्रामीण भारत में बाल देखभाल के काम से जुड़े हाथ धोने का ज्ञान और प्रचलन की स्थिति काफी खराब है. वाटर एड इंडिया के नये अध्ययन ‘स्पॉटलाइट ऑन हैंडवाशिंग इन रूरल इंडिया’के मुताबिक पांच महत्वपूर्ण समयों- शौचक्रिया के बाद, बच्चे का मल धोने के बाद, शिशुओं को दूध पिलाने से पहले, खाने से पहले और खाना बनाने से पहले साबून से हाथ धोना चाहिए. इससे दस्त की समस्या 47 प्रतिशत कम होने का अनुमान है. यह अध्ययन चार राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान और ओडिशा के ग्रामीण इलाकों में हाथ साफ करने से जुड़ी परंपरा के बारे में जागरूकता स्तर जानने के लिए किया गया.
हर बच्चा जीवन में निष्पक्ष शुरूआत का है हकदार : यूनिसेफ इंडिया का नया अभियान
आमतौर पर शौच के बाद और खाना खाने से पहले हाथ धोने का प्रचलन है. सर्वेक्षण में सामने आया कि जिस घर में पांच साल से कम उम्र का बच्चा है वहां पर कम स्वच्छता है. अध्ययन में सामने आया, केवल 26.3 प्रतिशत महिलाएं बच्चों को खिलाने से पहले हाथ धोती हैं. 14.7 प्रतिशत दूध पिलाने से पहले हाथ धोती हैं. 16.7 प्रतिशत बच्चों का मल फेंकने के बाद हाथ धोती हैं और 18.4 प्रतिशत बच्चों का शौच धोने के बाद हाथ धोती हैं. अध्ययन में कहा गया है कि 2015 में दस्त के कारण हर दिन 321 बच्चों की मौत हुई है जो भारत में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है.
किसकी डांट खाने के बाद स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए तेंदुलकर?
हाथ की सफाई के महत्व को समझते हुए बच्चों की शिक्षा और अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ ने 'टीम स्वच्छ' का निर्माण कर जागरूकता कार्यक्रम चलाया था. यूनिसेफ की कम्यूनिकेशन मैनेजर सोनिया सरकार ने बताया कि भारत में 5 वर्ष तक के बच्चों की ज्यादातर मौत, डायरिया जैसी बीमारी के कारण हो रही है, जिसका मुख्य कारण खुले में शौच करना और हाथ साफ नहीं करना है.
सफ़ाई की अहमियत बताती लिटिल मास्टर की 'टीम स्वच्छ'
सोनिया सरकार ने बताया कि यूनिसेफ का उद्देश्य बच्चों को स्वस्थ बनाकर विश्व से शिशु मृत्यु दर को कम करना है और इसके लिये यूनिसेफ अनेक देशों में मुफ्त टीकाकरण के साथ कई प्रकार से सहयोग कर रहा है. इसी कड़ी में भारत में 'टीम स्वच्छ' के नाम से एक अभियान शुरू किया जिसका उद्देश्य लोगों को स्वच्छता के प्रति प्रेरित करना है. इस अभियान के तहत स्कूली बच्चों को हाथ की सफाई कैसे करें, इस बात की ट्रैनिंग दी गई. गांव-गांव जाकर हाथ धोने की सही प्रक्रिया के बारे में लोगों को बताया जा रहा है.
(इनपुट भाषा से भी)
'ग्लोबल हैंडवाशिंग डे' के अवसर पर जारी एक नये अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि ग्रामीण भारत में बाल देखभाल के काम से जुड़े हाथ धोने का ज्ञान और प्रचलन की स्थिति काफी खराब है. वाटर एड इंडिया के नये अध्ययन ‘स्पॉटलाइट ऑन हैंडवाशिंग इन रूरल इंडिया’के मुताबिक पांच महत्वपूर्ण समयों- शौचक्रिया के बाद, बच्चे का मल धोने के बाद, शिशुओं को दूध पिलाने से पहले, खाने से पहले और खाना बनाने से पहले साबून से हाथ धोना चाहिए. इससे दस्त की समस्या 47 प्रतिशत कम होने का अनुमान है. यह अध्ययन चार राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान और ओडिशा के ग्रामीण इलाकों में हाथ साफ करने से जुड़ी परंपरा के बारे में जागरूकता स्तर जानने के लिए किया गया.
हर बच्चा जीवन में निष्पक्ष शुरूआत का है हकदार : यूनिसेफ इंडिया का नया अभियान
आमतौर पर शौच के बाद और खाना खाने से पहले हाथ धोने का प्रचलन है. सर्वेक्षण में सामने आया कि जिस घर में पांच साल से कम उम्र का बच्चा है वहां पर कम स्वच्छता है. अध्ययन में सामने आया, केवल 26.3 प्रतिशत महिलाएं बच्चों को खिलाने से पहले हाथ धोती हैं. 14.7 प्रतिशत दूध पिलाने से पहले हाथ धोती हैं. 16.7 प्रतिशत बच्चों का मल फेंकने के बाद हाथ धोती हैं और 18.4 प्रतिशत बच्चों का शौच धोने के बाद हाथ धोती हैं. अध्ययन में कहा गया है कि 2015 में दस्त के कारण हर दिन 321 बच्चों की मौत हुई है जो भारत में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है.
किसकी डांट खाने के बाद स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए तेंदुलकर?
हाथ की सफाई के महत्व को समझते हुए बच्चों की शिक्षा और अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ ने 'टीम स्वच्छ' का निर्माण कर जागरूकता कार्यक्रम चलाया था. यूनिसेफ की कम्यूनिकेशन मैनेजर सोनिया सरकार ने बताया कि भारत में 5 वर्ष तक के बच्चों की ज्यादातर मौत, डायरिया जैसी बीमारी के कारण हो रही है, जिसका मुख्य कारण खुले में शौच करना और हाथ साफ नहीं करना है.
सफ़ाई की अहमियत बताती लिटिल मास्टर की 'टीम स्वच्छ'
सोनिया सरकार ने बताया कि यूनिसेफ का उद्देश्य बच्चों को स्वस्थ बनाकर विश्व से शिशु मृत्यु दर को कम करना है और इसके लिये यूनिसेफ अनेक देशों में मुफ्त टीकाकरण के साथ कई प्रकार से सहयोग कर रहा है. इसी कड़ी में भारत में 'टीम स्वच्छ' के नाम से एक अभियान शुरू किया जिसका उद्देश्य लोगों को स्वच्छता के प्रति प्रेरित करना है. इस अभियान के तहत स्कूली बच्चों को हाथ की सफाई कैसे करें, इस बात की ट्रैनिंग दी गई. गांव-गांव जाकर हाथ धोने की सही प्रक्रिया के बारे में लोगों को बताया जा रहा है.
(इनपुट भाषा से भी)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं