"बिजली के ऐसे झटके दिए कि लगा जान ले लेंगे" : चीनी हिरासत के छूटे अरुणाचल के किशोर ने NDTV को सुनाई आपबीती

चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लापता होने के लगभग दो सप्ताह बाद मिराम अपने परिवार से मिल सका

नई दिल्ली:

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की हिरासत में लगभग 200 घंटे बिताने वाले अरुणाचल प्रदेश के किशोर मिराम टैरोन ने कहा कि उसे अपनी जान जाने का डर था और उसे नहीं पता था कि उसके साथ क्या हो रहा है. उसे हिरासत में बांधकर लात मारी और बिजली के झटके दिए गए. उसने कहा कि उसके साथ शिकार करने के लिए गया वाला साथी चीनी सैनिकों पर बंदूक तानकर भागने में सफल हो गया था. गत 18 जनवरी को अपर सियांग क्षेत्र से पीएलए द्वारा अपहरण करके ले जाए गए किशोर ने एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में अपनी आपबीती सुनाई.

उसने कहा, "मैं कुछ नहीं जानता था. मुझे नहीं पता था कि वे मुझे भारतीय क्षेत्र में वापस ले जा रहे हैं या कुछ और कर रहे हैं. मैंने सोचा कि वे मुझे अपने शहर ले जाएंगे और मुझे मार डालेंगे." यह 17 वर्षीय किशोर मिराम लापता होने के लगभग दो सप्ताह बाद अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में अपने परिवार से फिर से मिल सका.

उसने एनडीटीवी को बताया, "मैं डर गया था लेकिन रो भी नहीं पा रहा था. मैं कांप रहा था. उन्होंने कुछ बातें कीं और मुझे लात मारी, फिर मुझे दो से तीन बार लात मारी. उन्होंने मुझे दो बार बिजली के झटके दिए."

मिराम और उनके शिकार अभियान के साथी जॉनी येइंग वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास शिकार करने गए थे - इसी दौरान वे चीनी सेना पीएलए से घिर गए थे. 27 वर्षीय यायिंग एक बंदूक लिए हुए थे और वे वहां से भागने में सफल रहे लेकिन मिराम को पीएलए ने बांध दिया. उसके आंखों पर पट्टी बांध दी गई और एक चीनी शिविर में ले जाया गया जहां उसे एक लकड़ी की चौकी से बांध दिया गया.

मिराम ने कहा कि "जॉनी ने उन्हें बंदूक से धमकाया और भाग गया लेकिन मैं घिर गया. उन्होंने मुझे बांध दिया, आंखों पर पट्टी बांधकर मुझे ले गए. वे मुझे एक शिविर में ले गए, वहां पहुंचने में लगभग 15 मिनट लगे. उन्होंने मुझे एक लकड़ी से बांध दिया." 

मिराम ने कहा कि उसे ठंड और डर लग रहा था. उसने कहा, "वे बात कर रहे थे लेकिन मैं उनकी भाषा नहीं समझ पा रहा था, इसलिए मैं वहीं बैठ गया...मेरा पूरा शरीर कांप रहा था."

जिस इलाके से मिराम को पकड़ा गया था वह तुतिंग सर्कल का वही इलाका है, जहां चीनी सेना 2018 में सड़क निर्माण उपकरण के साथ घुसी थी और भारत के अंदर 3-4 किमी सड़क बनाने की कोशिश कर रही थी. जब स्थानीय लोगों और भारतीय सेना ने आपत्ति जताई तो चीनियों का पीछे हटना पड़ा था.

यायिंग ने पुष्टि की कि बंदूक ने वास्तव में उसकी भागने में मदद की थी. उन्होंने एनडीटीवी को बताया, "मैंने उन्हें अपनी बंदूक से धमकाया और भाग गया. उन्होंने मुझे भी घेर लिया था लेकिन मैंने उन पर बंदूक तान दी और भाग गया."

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यायिंग ने कहा कि वे एक उत्सव के लिए बिशिंग गांव (एलएसी के पास अंतिम भारतीय गांव) से आगे गए थे, जिसे स्थानीय रूप से सियुनला-लुंगथाज़ोर कहा जाता है. उन्होंने कहा, "देर हो गई, शाम करीब छह बजे. चीनी पीएलए ने हमें घेर लिया था. मैं किसी तरह भाग गया और गांव में उसके पिता और अन्य लोगों को सूचित किया."